Credit Score Vs Cibil Report : लोन या क्रेडिट कार्ड लेने की बात चलने पर दो टर्म अक्सर उभरते हैं- क्रेडिट/सिबिल स्कोर और सिबिल रिपोर्ट। साथ ही मन में सवाल भी आता है कि ये दोनों चीजें आखिर हैं क्या और इनका लोन और क्रेडिट कार्ड से क्या लेना देना है। क्रेडिट स्कोर और सिबिल रिपोर्ट को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। इस रिपोर्ट में हम आपको बता रहे हैं इन्हीं दोनों के बारे में कुछ अहम डिटेल…जब भी कोई बैंक से लोन लेना चाहता है तो अक्सर क्रेडिट स्कोर और सिबिल का जिक्र ज़रूर होता है. इन दोनों के बीच लोग फर्क नहीं कर पाते हैं.
जबकि इन दोनों में अंतर होता है. क्रेडिट स्कोर कर्ज अदा करने की किसी व्यक्ति की साख को नापने का महत्वपूर्ण पैमाना है. वहीं, ट्रांसयूनियन सिबिल भारत में चार प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से एक है. अन्य ब्यूरो में एक्सपीरियन, सीआरआईएफ हाई मार्क और इक्विफैक्स शामिल हैं. आइए, यहां क्रेडिट स्कोर और सिबिल के बीच अंतर को देखते हैं.
सिबिल क्या है?
ट्रांसयूनियन सिबिल लिमिटेड को पहले क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड (सिबिल) के नाम से जाना जाता था. यह क्रेडिट ब्यूरो या क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है जो लोगों के साथ कंपनियों की क्रेडिट से जुड़ी गतिविधियों के रिकॉर्ड को मेनटेन करती है. इनमें क्रेडिट कार्ड और लोन शामिल हैं.
क्या होता है सिबिल स्कोर?
सिबिल स्कोर कंज्यूमर की क्रेडिट हिस्ट्री की समरी को दिखाता है. यह स्कोर तीन अंकों का होता है. यह किसी व्यक्ति के क्रेडिट प्रोफाइल का आईना होता है. सिबिल स्कोर की रेंज 300 से 900 के बीच होती है. सिबिल स्कोर 900 के जितना करीब होता है, वह उतना ही अच्छा माना जाता है. इससे लोन अप्रूव होने की संभावना बढ़ जाती है. सिबिल की वेबसाइट के अनुसार, 750 से ज्यादा कोई भी स्कोर अच्छा सिबिल स्कोर होता है. सिबिल रिपोर्ट में दी गई क्रेडिट हिस्ट्री का इस्तेमाल करते हुए सिबिल स्कोर बनाया जाता है. यह बुनियादी रूप से आपके सिबिल रिपोर्ट की समरी होता है. इससे किसी के कर्ज अदायगी की क्षमता का पता चलता है.
सिबिल स्कोर कैसे चेक करते हैं?
सिबिल की वेबसाइट के अलावा आप बैंकिंग सर्विस एग्रीगेटर्स की वेबसाइटों पर भी अपने क्रेडिट स्कोर को चेक कर सकते हैं. सिबिल की वेबसाइट पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करने के लिए आप सब्सक्रिप्शन प्लान ले सकते हैं. इसे मुफ्त भी देखा जा सकता है. फ्री सब्सक्रिप्शन का इस्तेमाल करने पर आप साल में केवल एक बार अपनी करंट सिबिल रिपोर्ट देख पाएंगे. सिबिल में पेड प्लान भी होते हैं जो विभिन्न तरह के फीचर की पेशकश करते हैं. अपनी जरूरत के अनुसार आप इन्हें चुन सकते हैं.
सिबिल रिपोर्ट क्या है?
सिबिल रिपोर्ट (सीआईआर) किसी व्यक्ति की क्रेडिट पेमेंट की हिस्ट्री होती है. एक अवधि में कोई अपने कर्जों को कैसे उतारता है, इसमें उसका लेखाजोखा होता है. हालांकि, सीआईआर में आपकी सेविंग्स, इनवेस्टमेंट या फिक्स्ड डिपॉजिट की डिटेल्स नहीं होती हैं. सिबिल रिपोर्ट में कंज्यूमर का सिबिल स्कोर और क्रेडिट समरी, निजी जानकारी, संपर्क सूचना, रोजगार की जानकारी और लोन अकाउंट की जानकारी शामिल होती है.
सिबिल रिपोर्ट में क्या जानकारी उपलब्ध होती है?
सिबिल रिपोर्ट में अमूमन उन सभी लोन की विस्तृत जानकारी होती है जो आप ले चुके होते हैं. इनमें होम, ऑटो लोन, क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, ओवरड्राफ्ट फेसिलिटी इत्यादि शामिल हैं.
सिबिल स्कोर के अलावा सिबिल रिपोर्ट में नीचे बताए गए प्रमुख सेक्शन भी होते हैं :
पर्सनल इनफॉर्मेशन : इसमें आपका नाम, जन्मतिथि, लिंग और पैन, पासपोर्ट नंबर, वोटर नंबर जैसी पहचान संख्या शामिल होती है.
कॉन्टैक्ट इनफॉर्मेशन : इस सेक्शन में पता और टेलीफोन नंबर दिए जाते हैं. चार एड्रेस तक की जानकारी होती है.
इम्प्लॉयमेंट इनफॉर्मेशन : इसमें बैंक और वित्तीय संस्थानों की ओर से रिपोर्ट की गई मंथली या एनुअल इनकम का ब्योरा होता है.
अकाउंट इनफॉर्मेशन : इस सेक्शन में उन सभी कर्जों का लेखाजोखा होता है जो आपने लिए होते हैं. इसमें कर्ज देने वाले बैंक/वित्तीय संस्थान का नाम, लोन का प्रकार (होम, ऑटो, पर्सनल, ओवरड्राफ्ट इत्यादि), अकाउंट नंबर, ओनरशिप डिटेल्स, अंतिम पेमेंट की तारीख, लोन की रकम, करंट बैलेंस और आपके पेमेंट का मासिक रिकॉर्ड शामिल होता है.
इनक्वायरी इनफॉर्मेशन : हर बार जब आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं, आपका संबंधित बैंक या वित्तीय संस्थान सीआईआर हासिल करता है. आपकी क्रेडिट हिस्ट्री में सिस्टम इसका नोट बनाता है. इसी को ‘इनक्वायरी’ कहा जाता है.
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