Report By : ICN Network
Article : राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 भारत में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के तरीके में बड़े बदलाव ला रही है। यह छात्रों को यह चुनने की आजादी देती है कि वे क्या सीखना चाहते हैं। अब छात्र अलग-अलग विषयों को एक साथ पढ़ सकते हैं और नई तरीकों से सीख सकते हैं। ये बदलाव छात्रों को बेहतर कौशल विकसित करने और अच्छी नौकरियों के लिए तैयार होने में मदद करेंगे।
एक बड़ा बदलाव मल्टीडिसिप्लिनरी (बहु-विषयक) शिक्षा है। पहले, छात्रों को केवल एक स्ट्रीम चुननी पड़ती थी, जैसे विज्ञान, वाणिज्य या मानविकी। लेकिन अब वे अलग-अलग विषयों का मिश्रण पढ़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, इंजीनियरिंग का छात्र संगीत या दर्शनशास्त्र भी सीख सकता है। इससे छात्र अधिक कौशल सीखते हैं और विभिन्न प्रकार की नौकरियों के लिए तैयार होते हैं। कई बड़े कॉलेज, जैसे IITs और केंद्रीय विश्वविद्यालय, पहले ही इस प्रणाली को लागू कर चुके हैं। एक और महत्वपूर्ण बदलाव अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) है। यह एक बैंक की तरह काम करता है, लेकिन इसमें पढ़ाई के क्रेडिट जमा होते हैं। यदि कोई छात्र कॉलेज बदलना चाहता है या कुछ समय के लिए पढ़ाई रोकना चाहता है, तो उसके अर्जित क्रेडिट सुरक्षित रहेंगे। इससे पढ़ाई आसान और कम तनावपूर्ण हो जाती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) पूरे भारत में कॉलेजों को इस प्रणाली को लागू करने में मदद कर रहा है। NEP 2020 ने स्नातक (अंडरग्रेजुएट) कार्यक्रमों में भी बदलाव किया है। पहले छात्र तीन साल तक पढ़ाई करते थे, लेकिन अब वे चार साल का कोर्स चुन सकते हैं, जिसमें अनुसंधान (रिसर्च) भी शामिल होगा। इससे छात्रों को अपने पसंदीदा विषयों पर अधिक समय तक अध्ययन और शोध करने का मौका मिलेगा। यह बदलाव भारतीय शिक्षा को अन्य देशों के समान बना रहा है, जिससे छात्रों को विदेशों में पढ़ाई और नौकरी के बेहतर अवसर मिलेंगे। जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय पहले ही चार वर्षीय कार्यक्रम शुरू कर चुके हैं। इसके अलावा, यदि छात्र पहले कोर्स छोड़ना चाहें, तो वे सर्टिफिकेट या डिप्लोमा प्राप्त कर सकते हैं।
Deepika Gupta
शिक्षाविद्/सहायक प्रोफेसर/शोधकर्ता
मंगलायतन विश्वविद्यालय, अलीगढ़
deepikaeducation22@gmail.com