Report By : ICN Network
केंद्र द्वारा सहकारी समितियों के माध्यम से तीन दालों, मक्का और कपास पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रस्तावित करने के एक दिन बाद, आंदोलनकारी पंजाब के किसान नेताओं ने सोमवार शाम को प्रस्ताव खारिज कर दिया और कहा कि वे कानूनी गारंटी की मांग के लिए बुधवार सुबह 11 बजे अपना ‘दिल्ली चलो’ विरोध फिर से शुरू करेंगे। सभी फसलों पर एमएसपी की। भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि उन्होंने केंद्र के प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की, जो रविवार रात प्रदर्शनकारी किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच एक बैठक के दौरान पेश किया गया था, और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह “पक्ष में नहीं” था।
भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि उन्होंने केंद्र के प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की, जो रविवार रात प्रदर्शनकारी किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच एक बैठक के दौरान पेश किया गया था, और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह “पक्ष में नहीं” था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ”हम सभी 23 फसलों पर एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की अपनी मांग पर कायम हैं ।”
तीन केंद्रीय मंत्रियों – पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय की समिति ने रविवार को चंडीगढ़ में चौथे दौर की वार्ता के दौरान किसानों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था। इससे पहले, 2020-21 में किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सरकार के प्रस्ताव को सोमवार को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें किसानों की एमएसपी की मांग को ‘‘भटकाने और कमजोर करने’’ की कोशिश की गई है और वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अनुशंसित एमएसपी के लिए ‘सी -2 प्लस 50 प्रतिशत’ फूर्मला से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।
किसान नेताओं ने कहा कि चौथे दौर के वार्ता में यह प्रस्ताव था कि पांच फसलों को पूरे देश में गांरटी के साथ खरीदा जाएगा, लेकिन बैठक से बाहर आकर केंद्रीय मंत्रियों ने कुछ और ही खुलासा कर दिया। ऐसा करने से केंद्र की नीयत साफ हो गयी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये केंद्रीय मंत्रियों का प्रस्ताव था, किसान नेताओं ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखा था। उन्होंने कहा कि अब बैठकों में विचार-विमर्श किये जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि अब समय आ गया है कि केंद्र कोई फैसला ले। उन्होंने साथ ही कहा कि वे बातचीत से पीछे नहीं हट रहे, लेकिन किसान का ठगा जाना उन्हें मंजूर नहीं।
किसान संगठनों द्वारा प्रस्ताव रद्द किये जाने पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसान हरकत में आ गये। दिल्ली की तरफ जाने के लिए किसानों द्वारा तैयारी शुरू कर दी गयी। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को किसान नेताओं द्वारा बैठक कर दिल्ली कूच की रणनीति बनाई जाएगी।
इससे पहले, पटियाला में भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां, महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने कहा कि केंद्र का प्रस्ताव गुमराह करने वाला है। उधर, लगभग 40 किसान यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भी इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और सभी 23 फसलों की खरीद पर जोर दिया।
यह था प्रस्ताव : किसान नेताओं के साथ रविवार देर रात तक चली वार्ता में तीन केंद्रीय मंत्रियों की समिति ने दाल, मक्का और कपास सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए पांच वर्षीय समझौते का प्रस्ताव रखा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) जैसी सहकारी समितियां उन किसानों के साथ समझौता करेंगी जो अरहर, उड़द, मसूर दाल या मक्का की खेती करते हैं, ताकि उनकी फसल अगले पांच वर्षों के लिए एमएसपी पर खरीदी जा सके। फसल खरीद की मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी और इसके लिए एक पोर्टल भी तैयार किया जाएगा। गोयल ने कहा कि इससे पंजाब की खेती बचेगी, भूजल स्तर में सुधार होगा और जमीन को बंजर होने से बचाया जा सकेगा। गोयल के अनुसार, यह भी प्रस्ताव दिया गया कि भारतीय कपास निगम किसानों के साथ समझौता करने के बाद पांच साल तक एमएसपी पर उनसे कपास खरीदेगा। गोयल ने रेखांकित किया कि किसानों की अन्य मांगें नीति-आधारित हैं और गहन चर्चा के बिना समाधान संभव नहीं है। उन्होंने कहा, चुनाव आ रहे हैं और नयी सरकार बनेगी… इस तरह के मुद्दों पर चर्चा जारी रहेगी। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा था कि वे सोमवार और मंगलवार को अपने मंच पर सरकार के प्रस्ताव को लेकर चर्चा के बाद आगे का फैसला लेंगे। बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एमएसपी को कानूनी गारंटी बनाये जाने की वकालत की। मान ने कहा कि उन्होंने बैठक के दौरान मोजाम्बिक और कोलंबिया से दालों के आयात का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह आयात दो अरब डॉलर से भी अधिक का है। यदि इस फसल के लिए एमएसपी दिया जाए तो पंजाब दालों के उत्पादन में देश का नेतृत्व कर सकता है और यह दूसरी हरित क्रांति होगी।