ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एसटीपी से निकलने वाले कीचड़ को खाद में बदलने की तकनीक पर काम कर रहा है जिसके लिए आईआईटी दिल्ली एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इस तकनीक में सोलर ड्राई स्लज मैनेजमेंट का उपयोग किया जाएगा जिससे कीचड़ को सुखाकर खाद बनाया जा सकेगा जिसका उपयोग उद्यानीकरण में होगा।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सीवरेज ही नहीं, बल्कि एसटीपी से निकलने वाले कीचड़ को खाद में तब्दील करने की तकनीक पर काम कर रहा है। प्राधिकरण आईआईटी दिल्ली से इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर रहा है। अगले सप्ताह इसकी डीपीआर तैयार हो जाएगी।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार की मंशा है कि एसटीपी से निकलने वाले शोधित पानी के दोबारा उपयोग के साथ ही कीचड़ को भी निस्तारित कर खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाए।
सीईओ के निर्देश पर सीवर विभाग की टीम ने पता लगाया कि गोवा में एसटीपी से निकलने वाले कीचड़ को खाद बनाने की तकनीक इस्तेमाल की जा रही है। वही तकनीक यहां भी लाने की तैयारी है। वरिष्ठ प्रबंधक विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि इस तकनीक का नाम सोलर ड्राई स्लज मैनेजमेंट (एसडीएसएम) है। इसके जरिये पांच दिन में ही कीचड़ सूखकर भुरभुरा राख में तब्दील हो जाएगा।