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UP के पूर्व DGP ने किताब में मायावती से जुड़ी कहानी पर किए हैरान कर देना वाले खुलासे बताया ‘1995 वाला किस्सा…’

ByICN Desk

Jan 27, 2024

Report By : ICN Network (UP News)

उत्तर प्रदेश की राजनीति की चाणक्य कही जाने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) ओ.पी. सिंह ने अपने संस्मरण में 1995 के चर्चित लखनऊ ‘गेस्ट हाउस’ कांड को याद करते हुए बड़ा खुलासा किया है। पूर्व DGP ने लिखा है कि इस मामले ने उन्हें ‘बिरादरी से बाहर’ करने के साथ ही ‘खलनायक’ बना दिया था। इस चर्चित कांड की पीड़िता बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरोप लगाया था कि समाजवादी पार्टी के समर्थकों ने उन्हें घेर लिया था। इस दौरान उनके साथ अभद्रता के अलावा जान तक लेने की कोशिश की गई।

पूर्व DGP ने किताब में लिखा कि ‘सुनामी वर्ष’ नामक अध्याय के तहत ‘गेस्ट हाउस’ कांड को आधुनिक भारत के इतिहास में एक ‘अशोभनीय’ राजनीतिक नाटक करार दिया है। इस घटना ने ‘न केवल उत्तर प्रदेश की राजनीति को बदल दिया, बल्कि देश की राजनीति को भी पूरी तरह से प्रभावित किया।’ सिंह ने दो जून, 1995 को हुई घटनाओं का सिलसिलेवार विवरण दिया है। उसी दिन उन्होंने लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) का कार्यभार संभाला था।

वह याद करते हैं कि अपराह्न लगभग दो बजे उन्हें मीरा बाई मार्ग पर स्थित गेस्ट हाउस में कुछ ‘गैरकानूनी तत्वों द्वारा गड़बड़ी’ को लेकर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का फोन आया। वह शाम 5:20 बजे जिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे। सुइट संख्या 1 और 2 में उस समय रह रही मायावती इस चर्चा के बीच गेस्टहाउस में अपने विधायकों से मुलाकात कर रही थीं कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।

पुलिस ने किया था लाठीचार्ज
‘बिजली आपूर्ति बंद होने और टेलीफोन लाइनें काट दिए जाने के कारण स्थिति काफी अस्पष्ट थी। पूरी तरह अराजकता की स्थिति थी।’ उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ‘सुनिश्चित करें कि सुइट्स एक और दो में कड़ी सुरक्षा हो।’ अचानक हंगामा शुरू हो गया। पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। सिंह का कहना है कि हालात सामान्य होने तक वह गेस्ट हाउस में ही रहे।

अधिकारी के अनुसार, गेस्ट हाउस के घटनाक्रम को लेकर ‘कहानियां और अफवाहें’ तेजी से फैलने लगीं, जिनमें परिसर में एक एलपीजी सिलेंडर लाने की अफवाह भी शामिल थी। उन्होंने लिखा,‘मायावती ने चाय पीने की इच्छा व्यक्त की और संपदा अधिकारी द्वारा सूचित किए जाने के बाद कि रसोई गैस नहीं है, पड़ोस से एक सिलेंडर की व्यवस्था की गई। सिलेंडर को रसोई क्षेत्र की ओर लुढ़का कर ले जाते देख और उससे हुई खड़खड़ की आवाज से यह अफवाह फैल गई कि मायावती को आग लगाने की कोशिश की गईं।’

मायावती ने राज्यपाल को पत्र लिखकर लगाया था आरोप
‘अभी तो शुरूआत थी। हैरान करने वाली और घटनाएं अभी होनी बाकी थीं।’ सिंह लिखते हैं कि मायावती ने उसी दिन राज्यपाल को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया कि गेस्ट हाउस में एकत्र हुए सपा सदस्यों ने हमला किया और कुछ बसपा कार्यकर्ताओं को ‘पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों की नाक के नीचे’ उठाकर ले गए।

पूर्व डीजीपी ने संस्मरण में लिखा, ‘एक पुलिस अधिकारी के तौर पर मैं फिर से दो राजनीतिक दलों के बीच शक्ति प्रदर्शन के खेल में लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोप में फंस गया।’ उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने उसी रात मुलायम सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया और मायावती को नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। सिंह को नयी सरकार ने चार जून, 1995 को निलंबित कर दिया। वह लिखते हैं, ‘केवल मुझे ही क्यों? हम चार लोग थे (गेस्ट हाउस में)। मेरे अलावा तीन, डीएम, एडीएम (सिटी) और एसपी (सिटी) और केवल मुझे निलंबित किया गया। यह स्पष्ट था कि मुझे निशाना बनाया गया था।’

CM योगी की कार्यशैली की प्रशंसा
बताते चले कि सिंह ने किताब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली की भी प्रशंसा की है। किताब में उनके कार्यकाल की अन्य घटनाओं का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें नेपाल की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के ‘तराई’ क्षेत्रों में खालिस्तानी आतंकवाद से निपटना भी शामिल है।

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