Report By : ICN Network
गौतमबुद्ध नगर के छह गांवों को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में शामिल किए जाने का मामला जल्द ही प्रदेश की कैबिनेट बैठक में उठने वाला है। इन गांवों में संपत्ति की रजिस्ट्री करने पर दो प्रतिशत शुल्क जीडीए को देना होता है, जिसे उसे इन गांवों में विकास कार्य करवाने के लिए खर्च करना चाहिए था।
लेकिन जीडीए इन गांवों में कोई विकास कार्य नहीं कर रहा है। विधान परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा ने इस मुद्दे को उठाते हुए सवाल किया कि अगर जीडीए विकास कार्य नहीं करवा रहा है, तो फिर गौतमबुद्धनगर का पैसा क्यों ले रहा है। उन्होंने यह मुद्दा हाल ही में विधानसभा की प्राक्कलन समिति की बैठक में भी उठाया था, जिसमें मेरठ कैंट विधायक अमित अग्रवाल भी मौजूद थे।
गौतमबुद्ध नगर के बिसरख ब्लॉक के छह गांव – दुजाना, कचेड़ा, बादलपुर, दुरियाई, गिरधरपुर और कलदा – लगभग 20 साल पहले गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में शामिल किए गए थे। इन गांवों में होने वाली रजिस्ट्री पर दो प्रतिशत शुल्क जीडीए को दिया जाता है, लेकिन जीडीए इस राशि को इन गांवों के विकास पर खर्च नहीं कर रहा है। इसके बजाय, यह राशि गौतमबुद्धनगर की नगर पालिका या संबंधित प्राधिकरण को मिल जाती है, जो इन गांवों के विकास कार्यों में खर्च की जाती है।
विधानसभा की प्राक्कलन समिति की बैठक में एमएलसी श्रीचंद्र शर्मा ने यह मुद्दा उठाया था और कहा था कि अगर जीडीए इन गांवों में विकास कार्य नहीं करवा रहा, तो उसे गौतमबुद्धनगर का पैसा क्यों लिया जा रहा है? इस मुद्दे को बैठक के रिकॉर्ड में शामिल किया गया और सभापति ने आश्वासन दिया कि इसे आगामी कैबिनेट बैठक में उठाया जाएगा।
बैठक के दौरान, समिति के सभापति अमित अग्रवाल ने जीडीए से इन छह गांवों की भूमि रजिस्ट्री से प्राप्त शुल्क और विकास कार्यों पर खर्च की गई राशि की विस्तृत जानकारी मांगी। गौतमबुद्धनगर के परियोजना निदेशक डॉ. अजितेश कुमार सिंह ने बताया कि सभापति ने जीडीए से इस मामले में जानकारी प्राप्त करने के निर्देश दिए हैं और इस संबंध में जीडीए को पत्र भेजा जाएगा।