पृष्ठभूमि: 2018 का बैन और उसका बोझ
2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक सख्त कदम उठाया था। एनजीटी ने आदेश दिया था कि 10 साल से पुराने डीजल वाहन और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर नहीं चल सकते। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर 2018 को बरकरार रखा, जिसके बाद इन वाहनों को जब्त करने और उन पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई शुरू हो गई। इस बैन का मकसद दिल्ली की जहरीली हवा को साफ करना था, लेकिन इसने कई वाहन मालिकों, खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए भारी मुश्किलें खड़ी कर दीं। 2024 में दिल्ली सरकार ने “एंड ऑफ लाइफ व्हीकल्स” (ईओएल) के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें इन वाहनों को ईंधन देने से रोकने की योजना थी। जुलाई 2025 में तो यह घोषणा भी की गई कि 1 जुलाई से ऐसे वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। लेकिन भारी जन विरोध और शिकायतों के बाद इस फैसले को टाल दिया गया।सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश: राहत की किरण
12 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया शामिल थे, ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई की। दिल्ली सरकार ने 2018 के उस आदेश की समीक्षा की मांग की थी, जिसमें पुराने वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दिल्ली सरकार की ओर से दलील दी कि यह प्रतिबंध अनुचित है, क्योंकि यह वाहनों की उम्र के आधार पर लागू किया गया है, न कि उनके उत्सर्जन (एमिशन) या सड़क योग्यता के आधार पर। मेहता ने कोर्ट में एक दिलचस्प तर्क रखा: “मेरी गाड़ी शायद पूरी जिंदगी में सिर्फ 2,000 किलोमीटर चले, लेकिन एक टैक्सी 2 साल में 1 लाख किलोमीटर चल सकती है। फिर भी मेरी गाड़ी को 10 साल बाद बेचना पड़ेगा, जबकि टैक्सी चलती रहेगी। यह नियम मनमाना है।” उन्होंने यह भी कहा कि 2018 के बाद से प्रदूषण नियंत्रण (PUC) टेस्टिंग, भारत स्टेज VI (BS6) उत्सर्जन मानक, और निगरानी तकनीकों में सुधार हुआ है, जिसके चलते उम्र-आधारित प्रतिबंध की जरूरत अब नहीं रह गई है। कोर्ट ने उनकी दलीलों को गंभीरता से लिया और अंतरिम आदेश जारी किया: “हम निर्देश देते हैं कि डीजल के 10 साल पुराने और पेट्रोल के 15 साल पुराने वाहनों के मालिकों के खिलाफ उनकी उम्र के आधार पर कोई सख्त कार्रवाई न की जाए।” कोर्ट ने केंद्र सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है। तब तक यह अंतरिम राहत लागू रहेगी।क्यों है यह फैसला अहम?
- वाहन मालिकों को राहत: यह आदेश उन लोगों के लिए बड़ी सांत्वना है, जो अपनी गाड़ियों को स्क्रैप करने या नई गाड़ी खरीदने की आर्थिक स्थिति में नहीं हैं। खासकर बुजुर्ग और निम्न आय वर्ग के लोग, जिनके लिए गाड़ी केवल एक साधन नहीं, बल्कि उनकी रोजमर्रा की जरूरतों का आधार है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मांग: दिल्ली सरकार ने तर्क दिया कि वाहनों की सड़क योग्यता और उत्सर्जन को मोटर व्हीकल एक्ट और सेंट्रल मोटर व्हीकल नियमों के तहत वैज्ञानिक टेस्टिंग से तय करना चाहिए, न कि उनकी उम्र से। कोर्ट ने भी इस दिशा में विचार करने का संकेत दिया है।
- पर्यावरण बनाम व्यावहारिकता: पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बैन को ढीला करने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास कमजोर हो सकते हैं, खासकर सर्दियों में जब वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ स्तर तक पहुंच जाती है। लेकिन दिल्ली सरकार का तर्क है कि आधुनिक तकनीक और सख्त उत्सर्जन मानकों ने पुराने वाहनों के प्रभाव को कम किया है।
- अन्य राज्यों के लिए नजीर: यह अंतरिम आदेश न केवल दिल्ली-एनसीआर, बल्कि उन अन्य राज्यों और शहरों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है, जहां उम्र-आधारित वाहन प्रतिबंध लागू हैं। यह नीति को उत्सर्जन-आधारित नियमों की ओर ले जा सकता है।