Report By : ICN Network
अगर आपके बच्चे भी कम उम्र में अपनी आंखों की रोशनी फोन की वजह से खो रहे हैं तो हो जाइए सावधान आंखों की रोशनी बढ़ती उम्र में कम होने लगती है ऐसा हम सभी जानते हैं, लेकिन कभी-कभी बचपन में ही आंखें कमजोर हो जाती हैं, जो अक्सर आप सुनते ही हैं कि कम उम्र में नजरें कमजोर हो गई हैं। बचपन में ही विजुअल डेवलपमेंट की समस्या हो जाती है, इसे एम्ब्लियोपिया (Amblyopia) भी कहते हैं, जो कि जन्म के बाद हो सकता है। इसके कारण बच्चों की आंखों (eyes) की रोशनी कमजोर पड़ने लगती है। अगर समय पर इलाज न करवाया जाए, तो दिमाग धीरे-धीरे सामने आने वाली तस्वीरों और विजुअल को दिखाने से मना करने लगता है और आंखों (eyes) में हमेशा के लिए धुंधलापन आ सकता है।
नजर कमजोर होने के संकेत बोर्ड पर लिखे शब्दों को पढ़ने में समस्या–Problem in reading the words written on the board indicating poor vision.
अगर बच्चों के टीचर शिकायत करते हैं कि वह दूर से या लास्ट बेंच से बोर्ड पढ़ने में दिक्कत हो रही है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। कई तरीके होते हैं, जैसे- बच्चा अचानक बोर्ड से देखकर भी गलत पढ़ना और उसके लिए कोई जरूरी बातें नोट करना पॉसिबल नहीं है।
टीवी के एकदम सामने बैठना–sit right in front of the tv
अगर बच्चा टीवी (TV ) के बहुत करीब बैठा है या बैठना पसंद करता है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि वह इसे साफ नहीं देख पा रहा है। अगर वो दूर बैठे हैं, तो देखना चाहिए कि क्या वे टेलीविजन (Television) देखते समय अपनी आंखें बार-बार मलते हैं।
पढ़ने के लिए उंगलियों का इस्तेमाल करना–using fingers to read
अगर आपका बच्चा किसी चीज को पढ़ने के लिए अपनी उंगलियों का यूज कर रहा है, तो उसे आंखों (eyes) की नजर से जुड़ी समस्या हो सकती है। इसके अलावा, अगर पढ़ते समय अपनी उस जगह खो देता है और शब्दों को ढूंढने में परेशान होने लगता है, तो यह देखने से जुड़ी समस्या का संकेत हो सकता है। बार-बार सिरदर्द होना (Frequent headaches)
बड़ों में सिरदर्द होना आम बात होती है, लेकिन बच्चों में (Headache) होना आम नहीं होता है। क्योंकि अगर बच्चे बार-बार इस चीज की शिकायत कर रहे हैं, तो इसका असर उनकी आंखों (eyes) पर हो सकता है।
बार-बार आंखें रगड़ना–rubbing eyes frequently
अगर आपके बच्चे की आंख कमजोर है, तो उसे दूर से साफ देखने में परेशानी हो सकती है और आंखों (eyes) पर बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ सकता है। इसके अलावा बच्चे की आंखें थकी हुई महसूस हो सकती हैं, जिससे जलन हो सकती है और बार-बार आंखें रगड़ सकता है।
कुछ अन्य संकेत-some other signs
टेलीविजन/कंप्यूटर या laptop देखने के लिए बाहर खेलने जाने को टाल देना।
अगर पढ़ते समय या (TV) देखने के समय एक आंख बंद करे, तो ये परेशानी आंखों (eyes) से जुड़ी हो सकती है।
पढ़ने में बिल्कुल भी इंटरेस्ट न लेना।
आंखों (eyes) को कैसे रखें हेल्दी
बच्चों को नुकीली चीजों से दूर रखें।
धूल, मिट्टी और तेज धूप के संपर्क में न आने दें।
छोटी उम्र से ही हैंड वॉश की आदत डालवाएं।
बच्चों को गैजेट्स का ज्यादा यूज न करने दें, इससे बच्चों की आंखों (eyes) पर असर पड़ता है।
उन्हें हेल्दी डाइट खाने की आदत डालवाएं।
बच्चों को रोजाना 6 से लेकर 8 गिलास पानी पीने की सलाह दें।
बच्चों को पूरी नींद लेने दें।
बच्चों को झुक कर या लेटकर न पढ़ने दें।
देर रात तक कम रोशनी में न पढ़ने दें।
पढ़ते समय किताबों को कम से कम 1 Feet की दूरी बनाएं।
बच्चों को हमेशा घर में न रखें, उन्हें नेचुरल एनवायरमेंट (Environment) में रहने देना चाहिए।
आंखों की समय-समय पर जांच कराएं।
Disclaimer:- उपरोक्त जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट की राय अवश्य ले लें। indiacorenews की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।