काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शवों की कतारें लगी हैं। गुरुवार को यहां अंतिम संस्कार के लिए 400 से ज्यादा शव पहुंचे। मणिकर्णिका घाट की गलियों में रातभर जाम लगा रहा। डोमराजा चौधरी ने बताया कि गर्मी बढ़ने के बाद अचानक शवों की संख्या बढ़ी है। सामान्य दिनों में 200-250 शव आते थे, लेकिन गुरुवार को यह आंकड़ा दोगुना होकर करीब 400 हो गया।
मणिकर्णिका घाट पर भीड़ से व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं। गुरुवार आधी रात में मैदागिन से लेकर मोक्षद्वार तक शव ही शव नजर आ रहे थे। गली और घाट में जब जगह कम पड़ी तो शवों को एक के ऊपर एक रख दिया। मणिकर्णिका में रातभर अंतिम संस्कार होता है। ऐसे में शुक्रवार तड़के तक वहां ऐसे ही हालात रहे।
गुरुवार रात को घाट पर बनाए गए प्लेटफार्म पर जितने शव जल रहे थे, उससे कई गुना शव लेकर लोग कतार में खड़े थे। घाट के डोम ने भीड़ देखकर शवों को कतार में लगवाया। जगह कम पड़ी तो शव के ऊपर शव रखवा दिए।
घाट पर एक बार में 25 से 30 शवों का ही अंतिम संस्कार कराया जाता है। ऐसे में वेटिंग लिस्ट लंबी होती जा रही थी। काशी के आसपास के जिलों से शव लेकर आए परिजनों को दाह-संस्कार के लिए 5-5 घंटे तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। यही वजह थी कि गलियों में शवों की संख्या और भीड़ दोनों बढ़ गई।
आखिर अंतिम संस्कार के लिए शवों की संख्या एकाएक क्यों बढ़ गई? इस सवाल पर डोम चौधरी कहते हैं कि दो-तीन दिनों से भीषण गर्मी हो रही है। ऐसे में मौत का आंकड़ा बढ़ा है, जिससे अंतिम संस्कार के शवों की संख्या भी बढ़ी है। सिर्फ मणिकर्णिका नहीं, बल्कि हरिश्चंद्र घाट समेत अन्य श्मशान पर शवों की संख्या बढ़ी है।
हरिश्चंद्र घाट में पहले 50 से 60 शव आते थे। इन दिनों यह आंकड़ा 200 तक पहुंच गया। दरअसल, मणिकर्णिका में जिन लोगों को अंतिम संस्कार की जगह नहीं मिल पा रही है। वह लोग भी दूसरे घाट पर पहुंच रहे हैं। इसके अलावा, यहां गंगा किनारे स्थित भैसासुर, डोमरी, सराय मोहाना, रमना, मूढ़ादेव, बेटावर, सरसौल, गौरा उपरवार, चंद्रावती, कैथी, परानापुर आदि श्मशान घाट हैं। इन सभी घाटों पर आने वाले शवों की संख्या जोड़ दें तो करीब 100 से अधिक शवदाह हो रहे हैं।
मणिकर्णिका घाट पर रहने वाले रोहित वर्मा ने बताया कि गुरुवार को शाम को घाट और आसपास बिल्कुल जगह नहीं थी। प्लेटफार्म पर जलने वाले शव की आग ठंडी होने पर नई चिता जलती है, लेकिन जल्दबाजी में लोग चिता की आग ठंडी नहीं होने दे रहे हैं।
दाह संस्कार में आए शव यात्रियों को मणिकर्णिका घाट पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दिन में चिलचिलाती धूप में न छांव है और न पानी। यही नहीं, दिन में धूप होने के कारण ज्यादातर लोग शाम 4 बजे के बाद शव लेकर पहुंचे। इसके चलते लोगों को लंबा जाम और गली में जूझना पड़ा।