नई दिल्ली: कंझावला केस में अब आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला चलेगा। दिल्ली पुलिस ने एक युवती की स्कूटी को कार से टक्कर मारने के बाद करीब 12 किलोमीटर तक उसे घसीटने से जुड़े मामले में चार आरोपियों के खिलाफ हत्या का आरोप लगाया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मामले के सात में से छह आरोपियों के खिलाफ पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-304 (गैर-इरादतन हत्या) के तहत आरोप लगाए गए थे।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना के समय अमित खन्ना (25), कृष्ण (27), मिथुन (26) और मनोज मित्तल कार के अंदर थे और उनके खिलाफ हत्या के आरोप लगाए गए हैं। हत्या का आरोप लगाए जाने के बाद आरोपियों को मृत्युदंड या उम्रकैद और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
इससे पहले, पुलिस ने कहा था कि मामले के सात आरोपियों में से छह के खिलाफ हत्या के आरोप लगाए गए हैं। विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा, सुल्तानपुरी की घटना में भौतिक, मौखिक, फॉरेंसिक और अन्य वैज्ञानिक सबूतों को जुटाने के बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा-304 की जगह धारा-302 (हत्या) शामिल कर दी है। मामले में आगे की जांच जारी है। यह कदम दिल्ली पुलिस द्वारा एक सत्र अदालत को यह बताए जाने के एक दिन बाद उठाया गया है कि वह मामले में आईपीसी की धारा-302 शामिल करेगी।
पुलिस उपायुक्त (बाहरी) हरेंद्र के सिंह ने एक बयान में कहा कि पुलिस ने पीड़िता के परिवार को जल्द मुआवजा दिलवाने के लिए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) का रुख किया है। उन्होंने बताया कि तथ्यों और परिस्थितियों की जांच के बाद आईपीसी की धारा-279 (सार्वजनिक जगह पर जानबूझकर या असावधानी से असुरक्षित रूप से वाहन चलाकर दूसरों का जीवन खतरे में डालना) और 304ए (लापरवाही के कारण मौत) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सिंह के मुताबिक, आगे की जांच के बाद प्राथमिकी में धारा-304 (गैर-इरादतन हत्या के लिये सजा), 120बी (आपराधिक साजिश) और 34 (साझा इरादा) को भी उसी दिन जोड़ा गया था, जिस दिन घटना की सूचना दी गई थी। उन्होंने कहा,आईपीसी की धारा-304ए को शामिल करने का मकसद एमएसीटी से पीड़िता के परिवार को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करना भी था, क्योंकि वह अपने परिवार की एकमात्र कमाऊ सदस्य थी।
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को उस मार्ग पर पीसीआर और पिकेट ड्यूटी पर तैनात अपने 11 कर्मियों को निलंबित कर दिया, जिस पर सुल्तानपुरी से कंझावला तक एक कार के नीचे फंसकर घिसटने से 20 वर्षीय युवती की मौत हो गई थी। गृह मंत्रालय द्वारा विशेष आयुक्त शालिनी सिंह की अध्यक्षता में गठित एक जांच समिति की ओर से सौंपी गई दुर्घटना की रिपोर्ट के बाद दिल्ली पुलिस को मार्ग पर तैनात अपने सभी कर्मियों को निलंबित करने का निर्देश दिए जाने के एक दिन बाद यह कदम उठाया गया था।
अजलि सिंह (20) की स्कूटी को 31 दिसंबर की देर रात एक कार ने टक्कर मार दी थी, जिसके बाद वह कार में फंसकर सुल्तानपुरी से कंझावला के बीच 12 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक घसीटती चली गई थी। इस घटना में अंजलि की मौत हो गई थी।
दिल्ली की एक अदालत ने 20 वर्षीय युवती की स्कूटी को कार से टक्कर मारने के बाद करीब 12 किलोमीटर तक उसे घसीटने से जुड़े मामले में आरोपी आशुतोष भारद्वाज को मंगलवार को जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने कहा, आरोपी को 50,000 रुपये की जमानत राशि और इतने के ही मुचलके पर जमानत दी जाती है।
अदालत ने कहा कि भारद्वाज कार में मौजूद नहीं था और उसकी भूमिका घटना के बाद ही सामने आई। अदालत ने कहा कि अन्य सह-आरोपियों के साथ घटना को अंजाम देने के लिए उनके साथ पूर्व की बैठक को दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है। भारद्वाज के वकील ने पिछले सप्ताह मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा उसकी अर्जी खारिज किए जाने के बाद सत्र न्यायालय में जमानत अर्जी दायर की थी।