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नोएडा में बिल्डरों ने सबलीज कर कमाया करोंड़ों का मुनाफा,होम बायर्स को नहीं मिला घर बुकिंग की रकम को किया डायवर्ट

Report By : Ankit Srivastav, ICN Network

नोएडा में 2009-2010 बिल्डरों को जमीन आवंटित की गई। ये आवंटन जमीन की कुल लागत का 10 प्रतिशत देकर की गई। बिल्डरों ने पजेशन लिया और जमीन को सबलेट किया। जमीन को कई छोटे भूखंड में तोड़ा और छोटे डेवलपर को बेच दी।

उनसे जमीन का पूरा पैसा बाजार भाव से लिया और 10 प्रतिशत लागत के अलावा करोड़ों कमाए। इधर बुकिंग के नाम बायर्स से पैसा लिया और उसे डकार गए या दूसरी परियोजना में लगा दिया। इसका खामियाजा नोएडा ग्रेटर नोएडा के 2 लाख होम बायर्स को भुगतना पड़ रहा है।

नोएडा में एम्स मैक्स गार्डेनिया बिल्डर पर कसता हुआ शिकंजा इसकी तस्वीर हैं कि बिल्डरों पर करीब 2409.77 करोड़ बकाया है। जिससे 3 हजार बायर्स की रजिस्ट्री नहीं हो रही है। प्राधिकरण बिल्डर के अब 122 फ्लैट और कॉमर्शियल योजना के निर्माणाधीन अनसोल्ड संपत्ति की नीलामी करने जा रहा है।

ये अनसोल्ड कॉमर्शियल संपत्ति इको सिटी सेक्टर-75 और सेक्टर-46 की है। जिसमें आवंटित 6 लाख वर्गमीटर जमीन में से बिल्डर 2 लाख 20 हजार 639 वर्गमीटर जमीन 11 कंपनियों को बेच दी। इससे बिल्डर ने मुनाफा कमाया।

स्पोर्ट्स सिटी योजना में श्री सी ग्रीन डेवलपर्स को सेक्टर-78, 79 और 101, सेक्टर-150 के भूखंड संख्या-1 के लिए लॉजिक्स इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड डेवलपर्स, भूखंड संख्या-2 के लिए श्री सी ग्रीन डेवलपर्स लिमिटेड और सेक्टर-152 में एटीएस होम्स प्राइवेट लिमिटेड को जमीन आवंटित की गई थी।

बिल्डर ने इन 4 भूखंड को 74 भूखंडों में तोड़कर उनकी सबलीज कर दी। इससे मुनाफा कमाया। लेकिन प्रोजेक्ट आज तक फंसा हुआ है। इसकी जांच प्रचलित है। यहां करीब 15 हजार बायर है जिनकी रजिस्ट्री नहीं हो सकी है।

प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि बायर्स की रजिस्ट्री कराना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए अमिताभ कांत की सिफारिश के तहत जो बिल्डर नहीं आ रहे है। उनकी अनसोल्ड प्रॉपर्टी को अटैच कर नीलाम किया जा रहा है। जिसमें पहला एक्शन गार्डेनिया पर लिया गया। और बिल्डरों के प्रोजेक्ट के बाहर सार्वजनिक नोटिस लगाए गए है।ये सिफारिश कोर्ट केस में लागू नहीं होगी। जबकि नोएडा ग्रेटर नोएडा में अधिकांश प्रोजेक्ट सिर्फ कोर्ट केस में फंसे है। जिनके लिए प्राधिकरण पैरवी कर रहा है। नोएडा में ऐसे करीब 17 प्रोजेक्ट और 25 हजार फ्लैट है।

अगर 26 हजार करोड़ में इन बिल्डरों का बकाया निकाल दिया जाए तो महज 7800 करोड़ ही रह जाता है। इसमें कोविड काल का जीरो पीरियड 21 प्रतिशत कम किया जाए तो बिल्डरों को 5500 करोड़ के आसपास जमा करना है। ये पैसा जमा नहीं हो रहा।
अमिताभ कांत की सिफारिश के बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अब तक 4200 होम बायर्स को उनका मालिकाना हक मिला है। जिसमें नोएडा में करीब 700 और ग्रेटरनोएडा में 3500 रजिस्ट्री हुई। इसके लिए प्राधिकरण को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। नोएडा में 57 बिल्डर प्रोजेक्ट में से 45 ने सहमति दी। 12 न तो बैठक में आए और न सहमति दी।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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