Report By : Ankit Srivastav, ICN Network
इजराइल और हमास के बीच कई महीने से जारी जंग के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सीजफायर का प्रस्ताव पास हो गया। इस प्रस्ताव को अमेरिका ने पेश किया । सोमवार को हुई वोटिंग में 15 में से 14 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला, जबकि वीटो पावर रखने वाले रूस ने प्रस्ताव से दूरी बनाई।
पहली बार अमेरिका की तरफ से पेश किए गए सीजफायर प्रपोजल में 3 फेज में जंग खत्म करने की बात कही गई है। पहले फेज में 6 हफ्ते का सीजफायर होगा। इस दौरान हमास की कैद में मौजूद कुछ इजराइली बंधक और इजराइल की जेल में बंद फिलिस्तीनियों की रिहाई की बात की गई है।
दूसरे फेज में जंग को पूरी तरह से रोककर बाकी बंधकों को रिहा किया जाएगा। आखिरी फेज में गाजा पट्टी को फिर से बसाने का जिक्र है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले महीने इस प्रस्ताव की घोषणा की थी। अमेरिका के मुताबिक, इजराइल पहले ही इस प्रस्ताव को स्वीकार कर चुका है।
हालांकि, कुछ इजराइली अधिकारियों का कहना है कि गाजा से हमास का खात्मा होने तक वे जंग जारी रखेंगे। इजराइली PM नेतन्याहू ने भी कहा था कि बाइडेन ने प्रस्ताव का केवल कुछ हिस्सा ही सार्वजनिक किया है। इजराइल परमानेंट सीजफायर पर तभी बात करेगा जब हमास पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
दूसरी तरफ हमास ने UNSC में पास हुए इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। वोटिंग के बाद हमास ने कहा कि वह मध्यस्थों के साथ इस पर चर्चा करने के लिए तैयार है। इसके अलावा गाजा में सीजफायर के लिए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन इजराइल के दौरे पर हैं। उन्होंने PM नेतन्याहू से मुलाकात भी की। ब्लिंकन ने इस बात पर जोर दिया कि सीजफायर से इजराइल के सभी बंधक बिना किसी कठिनाई के घर लौट सकेंगे। साथ ही गाजा में मानवीय सहायता भी आसानी से पहुंचाई जा सकेगी।
इससे पहले मार्च में भी मानवीय संकट को आधार बनाकर UNSC में सीजफायर का एक प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव में बिना शर्त के सभी बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग की गई। इस प्रपोजल के लिए भी 15 में से 14 सदस्यों ने पक्ष में वोटिंग की थी, जबकि अमेरिका ने इससे दूरी बनाई थी।
ऐसा पहली बार था जब अमेरिका ने सीजफायर के प्रस्ताव पर वोट नहीं डाला। इससे पहले 3 बार वह UNSC में इन प्रस्तावों पर वीटो लगा चुका है। अमेरिका के वोटिंग से दूरी बनाने पर इजराइल ने नाराजगी जताई थी। नेतन्याहू ने तब वॉशिंगटन जा रहे रक्षा मंत्री योव गैलेंट की यात्रा रद्द कर दी थी।
क्या UNSC में प्रस्ताव पारित होने से रुकेगी जंग? न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, UNSC के प्रस्तावों को अंतरराष्ट्रीय कानून माना जाता है। सदस्य देशों के लिए इनका पालन करना जरूरी होता है। हालांकि, इजराइल UNSC का स्थायी या अस्थायी सदस्य नहीं है। ऐसे में वो इस प्रस्ताव को मानने के लिए बाध्य नहीं है।सुरक्षा परिषद में कोई प्रस्ताव पास हो भी जाए तो यहां इसे लागू कराने का कोई जरिया नहीं है। हां यह जरूर है कि सदस्य देशों की सहमति से इजराइल पर कई प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।