Report By-Pawan Sharma ,Mathura(UP)
यूपी के मथुरा में बंदरों की समस्या को लेकर गली से लेकर कचहरी तक आंदोलन हुए। यहां के निवासियों ने डीएम से लेकर पीएम तक समस्या की मांग करते हुए ज्ञापन दिए। लेकिन जब नतीजा ढाक के तीन पात रहा तो स्थानीय नागरिक खुद ही बंदरों की समस्या से निजात पाने के लिए आगे आए और गली में तैनात कर दिए बंदूकधारी।
मथुरा वृंदावन में बंदरों का आतंक इस कदर है कि यहां रहने वाले लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं। मथुरा में जहां बंदरों का सबसे ज्यादा आतंक चौबिया पाड़ा में है।
यहां घरों से निकलने पर नागरिक लाठी डंडे हाथ में लेकर निकलते हैं। वृंदावन में बंदरों का आतंक यह है कि यहां लोग चश्मे,मोबाइल और पर्स लेकर नहीं निकल सकते। बंदर पलक झपकते ही उनका सामान ले जाते हैं और फिर छुड़ाने के लिए पीड़ित व्यक्ति पीछे पीछे दौड़ लगाते हैं।
शहर के चौबिया पाड़ा स्थित गताश्रम टीला विकास समिति के द्वारा क्षेत्र से बंदर भगाने का अभियान शुरू कर दिया गया है। यहां गली कोकरान में बंदरों के हमले से बचने के लिए दो बंदूक धारी गार्ड तैनात किए गए हैं। यह गार्ड एयरगन ले कर दिन भर गली में घूमते रहते हैं। जिससे बंदर गली से निकलने वाले किसी बच्चे,बुजुर्ग,महिला या व्यक्ति पर बंदर हमला न कर सकें।
चौबिया पाड़ा की गली कोकरान में 200 से ज्यादा घर हैं। यहां संकरी गलियों में बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया कि लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए। बंदरों की समस्या बढ़ी तो अजीज आ चुके लोगों ने बंदूकधारी गली में तैनात कर दिए। यहां दो बंदूक धारी सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक हाथ में एयरगन लेकर ड्यूटी करते हैं और बंदरों को भगाते हैं। इस काम के बदले गली के लोग प्रति गार्ड को 7 हजार रुपए महीने देंगे।
बंदर भगाने के लिए तैनात किए गए गार्ड आनंद चतुर्वेदी ने बताया कि बंदरों ने बच्चों को घायल कर दिया छत से गिर गए। महिलाओं सब्जी लेकर आ सकती हैं, बुजर्ग को खा गया उनका चश्मा ले गया,कपड़े ले गए,बैग में से रुपए ले गए इनका अत्याचार बहुत ज्यादा है। मारना किसी को नहीं है केवल इनको भगाना है।
स्थानीय निवासी राहुल ने बताया कि उनकी मम्मी जा रही हैं उनको बंदरों के कारण नीचे तक निकालने जाना पड़ रहा है। इतने बंदर हैं कि बच्चे क्या बड़े नहीं निकल पा रहे। इसीलिए बंदरों को भगाने के लिए बंदूकधारी रखने पड़े। स्थानीय निवासी एक बुजुर्ग ने बताया नगर निगम सब दिखावा करते हैं ले जाते हैं फिर यहीं छोड़ जाते हैं। बहुत परेशान हैं बच्चे हमारे। डंडा लेकर जाना पड़ता है, कुछ राहत मिली है एक भी बंदर नहीं हैं ऐसा ही इंतजाम हो।
वृंदावन में बंदर स्थानीय निवासियों के ही नहीं बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का सामान इतनी चतुराई से ले जाते हैं कि व्यक्ति को तब पता चलता है जब बंदर लेकर उनसे दूर चला जाता है। बंदर सबसे ज्यादा चश्मा,मोबाइल और पर्स लेकर जाते हैं। इसके बाद पीड़ित व्यक्ति भले ही कितने फल,चना आदि खाने की चीज दें लेकिन वह नहीं देते। सामान व्यक्ति को वापस तभी मिलता है जब वह मैंगो सॉफ्ट ड्रिंक देता है।
बंदरों के कारण मथुरा वृंदावन में हर दिन 50 से ज्यादा लोग उनका शिकार हो रहे हैं। बंदर हर दिन दोनों शहरों में बच्चे,महिला और बुजुर्गों पर ज्यादा हमले करते हैं। बंदरों के काटने से जख्मी हो रहे 50 से ज्यादा लोग प्रतिदिन जिला अस्पताल पहुंचते हैं और रेबीज का इंजेक्शन लगवाते हैं। इतना ही नहीं हर साल 8 से 10 लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती हैं। बंदरों के हमले से बचने को कोई छत से गिर जाता है तो किसी के इतनी गंभीर चोट लग जाती है कि व्यक्ति की मौत तक हो जाती है।
मथुरा में बंदरों की बढ़ती समस्या को लेकर सांसद हेमा मालिनी इस मुद्दे को लेकर संसद भवन में उठा चुकी हैं। वहीं मथुरा में एक जनसभा के दौरान बंदरों का मुद्दा उठा तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों से हनुमान चालीसा का पाठ करने की बात कही थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हनुमान चालीसा का पाठ करो बंदर परेशान नहीं करेंगे।