Report By : ICN Network
कानपुर में स्कूलों की मनमानी पर जिलाधिकारी ने कड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को जारी आदेश में कहा गया कि यदि कोई स्कूल अभिभावकों को किताबें या यूनिफार्म किसी विशेष स्थान से खरीदने के लिए मजबूर करता है, तो उस पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उसकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है। साथ ही, अगर स्कूल हर साल किताबें या यूनिफार्म बदलता है, तो उस पर भी यही कार्रवाई लागू होगी। यह निर्देश बेसिक शिक्षा परिषद, माध्यमिक शिक्षा परिषद, सीबीएसई और सीआईएससीई से मान्यता प्राप्त सभी स्कूलों पर लागू होंगे।
डीएम ने उप्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश 2018 में विद्यालयों में ली जाने वाली फीस एवं जूते-मोजे, कॉपी-किताब के विषय में दिशानिर्देश फिर से जारी किए गए हैं। डीएम ने स्पष्ट किया है कि स्कूल तय यूनिफार्म पांच वर्ष तक नहीं बदल सकते हैं। डीएम ने कहा कि कि जनपदीय शुल्क नियामक समिति में अभिभावक बिना किसी डर के शिकायत करें। स्कूल दोषी पाया जाता है, तो पहली बार में छात्र से ली गई अधिक फीस को वापस करने के साथ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
दूसरी बार उल्लंघन करने पर छात्र से ली गई अधिक फीस वापस करने के साथ पांच लाख रुपये जुर्माना और तीसरी बार में संबंधित बोर्ड से मान्यता व संबद्धता वापस लेने की संस्तुति कर दी जाएगी। डीएम ने कहा कि प्रवेश शुल्क विद्यालय में प्रथम बार नए प्रवेश के समय ही लिया जाएगा। परीक्षा शुल्क केवल परीक्षाओं के लिए ही लिया जाएगा। विद्यालय की फीस में ही परिवहन फीस, बोर्डिंग फीस, मेस या डाइनिंग फीस व शैक्षिक भ्रमण फीस सम्मिलित होगी।
उसके लिए अलग से अभिभावकों को परेशान नहीं किया जाएगा। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि विद्यालय में प्रवेश के समय लिया गया प्रवेश शुल्क छात्र के विद्यालय छोड़ने के समय वापस किया जाएगा। प्रत्येक विद्यालय शैक्षिक सत्र शुरू होने के पूर्व सक्षम अधिकारी को आगामी शैक्षिक वर्ष में ली जाने वाली फीस का विवरण प्रेषित करेगा। विद्यालय शैक्षिक सत्र में प्रवेश शुरू होने के 60 दिन पूर्व अपनी वेबसाइट पर फीस का विवरण अपलोड करेंगे। इसे सूचना पट पर प्रकाशित करेंगे
यदि स्कूल पहली बार दोषी पाया जाता है, तो छात्रों से वसूली गई अतिरिक्त फीस लौटानी होगी और साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना देना होगा।
दूसरी बार उल्लंघन की स्थिति में, न केवल अतिरिक्त फीस लौटानी होगी, बल्कि पांच लाख रुपये का जुर्माना भी देना पड़ेगा। तीसरी बार गलती दोहराए जाने पर, संबंधित बोर्ड को स्कूल की मान्यता और संबद्धता रद्द करने की सिफारिश की जाएगी।