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Lucknow: सांसदों-विधायकों को नहीं जंच रहे अधिकारी, योगी राज में और ताकतवर हो रहे अफसर! 

Yogi Adityanath
Lucknow: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार के तहत सांसदों और विधायकों की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। कई जनप्रतिनिधियों का कहना है कि अफसर उनकी बात नहीं सुन रहे हैं और उनकी अनदेखी कर रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर हाल ही में बीजेपी नेतृत्व ने भी चिंता जताई है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के संगठन महासचिव बी.एल. संतोष ने हाल ही में लखनऊ में हुई एक बैठक में इस मुद्दे को उठाया था। 

सांसद-विधायकों की शिकायतें

सूत्रों का कहना है कि कई सांसदों और विधायकों ने शिकायत की है कि जिला स्तर पर अधिकारी उनकी सिफारिशों और शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहे। कुछ नेताओं का कहना है कि जिलाधिकारी (डीएम) और अन्य प्रशासनिक अधिकारी उनकी बात को अनसुना कर रहे हैं। पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में कहा था कि डीएम सांसदों-विधायकों की बात नहीं सुनते और कई बार तो विधायक डीएम के सामने गिड़गिड़ाने को मजबूर हो जाते हैं। 

सीएम योगी ने दिए सख्त निर्देश

इस बढ़ते असंतोष को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए और उनकी अनदेखी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। राज्य के संसदीय कार्य विभाग ने सभी प्रमुख अधिकारियों, जैसे प्रधान सचिव, पुलिस महानिदेशक, मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। 

‘मंडलवार संवाद’ का आयोजन 

मुख्यमंत्री योगी ने हाल ही में कानपुर, चित्रकूट और झांसी मंडल के सांसदों और विधायकों के साथ बैठक की। इस बैठक का मकसद जनप्रतिनिधियों से विकास योजनाओं और परियोजनाओं पर चर्चा करना था। सूत्रों के मुताबिक, ऐसी बैठकें भविष्य में अन्य मंडलों में भी आयोजित की जाएंगी। इस दौरान योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जनप्रतिनिधियों की राय को प्राथमिकता दें और उनकी सिफारिशों के आधार पर योजनाओं को अंतिम रूप दें। 

पंचायत और विधानसभा चुनाव की तैयारी

यह कदम आगामी पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर उठाया गया है। बीजेपी नेतृत्व का मानना है कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल से विकास कार्यों को गति मिलेगी और पार्टी की स्थिति मजबूत होगी। योगी ने अधिकारियों से यह भी कहा कि विकास परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन के समय जनप्रतिनिधियों के नाम को प्रमुखता से शामिल किया जाए। 

पिछले साल भी उठा था मुद्दा

यह पहली बार नहीं है जब जनप्रतिनिधियों ने अधिकारियों की अनदेखी की शिकायत की हो। पिछले साल अक्टूबर में भी सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों ने अधिकारियों के व्यवहार पर नाराजगी जताई थी। उनकी शिकायत थी कि अधिकारी उन्हें अपमानित करते हैं और उनकी बात को गंभीरता से नहीं लेते। इस मुद्दे को लेकर तत्कालीन मुख्य सचिव ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अधिकारियों को इस तरह के व्यवहार से बचने की हिदायत दी थी। 

बीजेपी संगठन की चिंता

बीजेपी संगठन और आरएसएस के साथ समन्वय बैठकों में भी यह मुद्दा कई बार उठ चुका है। विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने भी अपनी चिंता जाहिर की थी। उनका कहना था कि अधिकारी उनकी सिफारिशों को नजरअंदाज करते हैं और कई बार उन्हें सामान्य कुर्सी पर बिठाकर अपमानित करते हैं, जबकि अधिकारी खुद सोफे या ऊंची कुर्सी पर बैठते हैं। 

क्या है इसका असर?

सांसदों और विधायकों का कहना है कि अधिकारियों की अनदेखी से उनके क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इससे उनकी छवि पर भी असर पड़ रहा है, क्योंकि जनता उनसे अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद करती है। बीजेपी नेतृत्व इस बात को समझता है कि अगर यह असंतोष बढ़ा तो इसका असर आगामी चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है। 

इसलिए, योगी सरकार अब इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के साथ बेहतर तालमेल बनाने के लिए सख्ती बरत रही है।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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