• Sun. Jul 20th, 2025

नोएडा पुलिस के रडार पर एनसीआर में कई गिरोह

नोएडा में हाल में कई साइबर क्राइम की घटनाओं का खुलासा हुआ है जिसमें किराये के खाते मुहैया कराने वाले गिरोह का पता चला है।

साइबर जालसाजी में अब किराये के बैंक खातों का खुलेआम खेल चल रहा है। 15 से 25 फीसदी किराये और कमीशन पर बैंक खाते मिल रहे हैं जिसका इस्तेमाल साइबर जालसाज कर रहे हैं। नोएडा में हाल में कई साइबर क्राइम की घटनाओं का खुलासा हुआ है जिसमें किराये के खाते मुहैया कराने वाले गिरोह का पता चला है। नोएडा पुलिस के रडार पर कई ऐसे गैंग हैं। नोएडा पुलिस ने हाल के महीनों में हजारों ऐसे खातों को फ्रीज भी कराया है।

साइबर जालसाजी में खातों की सबसे अहम भूमिका होती है। देश-विदेश में बैठे साइबर जालसाज साइबर ठगी करते हैं लेकिन ठगी की रकम किसी न किसी खाते में भी ट्रांसफर की जाती है। ऐसे में भारतीय बैंक खातों की साइबर क्राइम की दुनिया में सबसे अधिक मांग है।

हाल के वर्षों में यह ट्रेंड देखने को मिला है कि किसी भी अनपढ़ या रिक्शा चालक के खातों को जालसाज ले लेते हैं और सरकारी योजनाओं की रकम दिलाने की बात कहते हैं। इसके बाद इन खातों का इस्तेमाल साइबर क्राइम में होता है। अब कई ऐसे गिरोह हैं जो बैंक खातों की हेराफेरी का काम करते हैं और इनमें बैंक कर्मचारियों की भी मिलीभगत होती है।

नोएडा व एनसीआर में हाल में हुए बड़े साइबर क्राइम में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र के गैंग की भूमिका सामने आई है। ये जालसाज कमीशन या किराये पर खाते में साइबर जालसाजी की रकम लेते हैं। साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर व कई घटनाओं के जांच अधिकारी विनोद कुमार का कहना है कि साइबर जालसाजों को खाते मुहैया कराने के लिए कई गिरोह सक्रिय हैं। 

बचत व सेविंग खातों की डिमांड है। इनके लिए अलग-अलग रकम या कमीशन लिया जाता है। नोएडा साइबर टीम ने हाल के महीनों में बीस से अधिक ऐसे साइबर जालसाजों को गिरफ्तार किया है जिनके खातों में साइबर ठगी की रकम गई है। इसके अलावा कई गिरोह पुलिस के रडार पर हैं।

डार्क वेब व टेलीग्राम पर मिल रहे किराये पर खाते
साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक, साइबर जालसाजी में इस्तेमाल करने के लिए खाते अब किराये पर डार्क वेब व टेलीग्राम पर भी मिल रहे हैं। इसके लिए तय रकम देनी होती है। पुलिस पूछताछ में कई जालसाजों ने यह बताया कि टेलीग्राम पर एक से डेढ़ घंटे के अंदर खाते मिल रहे हैं। यहां खाता नंबर देकर कमीशन काटकर रकम दी जाती है। 

By Ankshree

Ankit Srivastav (Editor in Chief )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *