मिल्कीपुर विधानसभा में 400 से अधिक बूथ थे और 50% से ज्यादा बूथों पर एकतरफा भारतीय जनता पार्टी की तरफ वोट गया है. ऐसा स्थानीय पत्रकारों ने साफ बताया दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ-साथ मिल्कीपुर उपचुनाव का मतदान भी बुधवार को संपन्न हो गया, और इन दोनों चुनावों पर केवल संबंधित राज्यों के नहीं, बल्कि पूरे देश की नजरें लगी थीं। सभी लोग एग्जिट पोल के अनुमानों के माध्यम से यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि अयोध्या में हार के बाद मिल्कीपुर सीट पर क्या होगा। क्या बीजेपी यहाँ अपनी हार का बदला ले पाएगी या समाजवादी पार्टी (SP) और उसके सांसद अवधेश प्रसाद का प्रभाव फिर से कायम रहेगा? साथ ही, यह सवाल भी उठ रहा था कि उनके बेटे अजीत प्रसाद चुनाव जीतने में सफल होंगे या नहीं मिल्कीपुर उपचुनाव में 65.35 प्रतिशत मतदान हुआ, जो यह दर्शाता है कि जनता इस चुनाव को लेकर काफी गंभीर थी। इस रिकॉर्ड मतदान ने यह स्पष्ट किया कि इस चुनाव में जनता की भागीदारी बहुत अधिक थी। एग्जिट पोल के परिणामों और वोटिंग के दौरान मिली जानकारी के अनुसार, यह साफ नजर आ रहा था कि बीजेपी यहां बढ़त बना रही है। पिछली बार के मुकाबले मतदान प्रतिशत काफी बढ़ा था, और यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बढ़े हुए वोट बीजेपी के पक्ष में गए हैं मिल्कीपुर क्षेत्र में मतदान के दौरान यह भी देखा गया कि कई बूथों पर लोगों ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वोट दिया है। उनका यह मानना था कि यदि बीजेपी जीतती है, तो उनके क्षेत्र के विकास को तेजी मिलेगी। वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अजीत प्रसाद और अखिलेश यादव द्वारा चुनाव निष्पक्षता पर उठाए गए सवालों को लेकर कुछ स्थानीय पत्रकारों ने दावा किया कि कोई भी गलत काम नहीं हुआ, और चुनाव में किसी प्रकार की धांधली नहीं की गई मिल्कीपुर की जनता का यह भी कहना था कि पिछली बार जब बीजेपी चुनाव हार गई थी, तो इस हार से पूरे अयोध्या जिले की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक असर पड़ा था। इस बार जनता ने ठान लिया था कि वे इस हार की लाज बचाएंगे और बीजेपी को जीत दिलाकर अपने इलाके की इज्जत बनाएंगे। उनके अनुसार, वे अब राम के नाम पर और विकास के मुद्दों पर वोट कर रहे थे, ताकि उनके क्षेत्र का विकास हो सके इसके अलावा, बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभान पासवान का व्यक्तिगत व्यवहार भी मतदाताओं को काफी भाया। उनका व्यवहार उन लोगों के बीच आकर्षण का कारण बना, जो पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को वोट देते थे। वहीं, अजीत प्रसाद अपने ही खेमे को मजबूती से संभालते नजर आए मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में 400 से अधिक बूथ थे, जिनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा बूथों पर बीजेपी को एकतरफा समर्थन मिला। बीजेपी के नेताओं द्वारा आयोजित चौपालों का भी असर दिखा, जहां उन्होंने अपनी योजनाओं को जनता के सामने रखा। कुल मिलाकर, मिल्कीपुर के एग्जिट पोल नतीजे यह संकेत दे रहे हैं कि बीजेपी एक मजबूत और अच्छे मार्जिन से इस चुनाव में जीतने वाली है, और प्रत्याशियों द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए आरोपों का कोई खास असर नहीं दिखा
मिल्कीपुर बीजेपी के पक्ष में, अखिलेश यादव को मिलेगा बड़ा झटका, जानें
मिल्कीपुर विधानसभा में 400 से अधिक बूथ थे और 50% से ज्यादा बूथों पर एकतरफा भारतीय जनता पार्टी की तरफ वोट गया है. ऐसा स्थानीय पत्रकारों ने साफ बताया दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ-साथ मिल्कीपुर उपचुनाव का मतदान भी बुधवार को संपन्न हो गया, और इन दोनों चुनावों पर केवल संबंधित राज्यों के नहीं, बल्कि पूरे देश की नजरें लगी थीं। सभी लोग एग्जिट पोल के अनुमानों के माध्यम से यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि अयोध्या में हार के बाद मिल्कीपुर सीट पर क्या होगा। क्या बीजेपी यहाँ अपनी हार का बदला ले पाएगी या समाजवादी पार्टी (SP) और उसके सांसद अवधेश प्रसाद का प्रभाव फिर से कायम रहेगा? साथ ही, यह सवाल भी उठ रहा था कि उनके बेटे अजीत प्रसाद चुनाव जीतने में सफल होंगे या नहीं मिल्कीपुर उपचुनाव में 65.35 प्रतिशत मतदान हुआ, जो यह दर्शाता है कि जनता इस चुनाव को लेकर काफी गंभीर थी। इस रिकॉर्ड मतदान ने यह स्पष्ट किया कि इस चुनाव में जनता की भागीदारी बहुत अधिक थी। एग्जिट पोल के परिणामों और वोटिंग के दौरान मिली जानकारी के अनुसार, यह साफ नजर आ रहा था कि बीजेपी यहां बढ़त बना रही है। पिछली बार के मुकाबले मतदान प्रतिशत काफी बढ़ा था, और यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बढ़े हुए वोट बीजेपी के पक्ष में गए हैं मिल्कीपुर क्षेत्र में मतदान के दौरान यह भी देखा गया कि कई बूथों पर लोगों ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वोट दिया है। उनका यह मानना था कि यदि बीजेपी जीतती है, तो उनके क्षेत्र के विकास को तेजी मिलेगी। वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अजीत प्रसाद और अखिलेश यादव द्वारा चुनाव निष्पक्षता पर उठाए गए सवालों को लेकर कुछ स्थानीय पत्रकारों ने दावा किया कि कोई भी गलत काम नहीं हुआ, और चुनाव में किसी प्रकार की धांधली नहीं की गई मिल्कीपुर की जनता का यह भी कहना था कि पिछली बार जब बीजेपी चुनाव हार गई थी, तो इस हार से पूरे अयोध्या जिले की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक असर पड़ा था। इस बार जनता ने ठान लिया था कि वे इस हार की लाज बचाएंगे और बीजेपी को जीत दिलाकर अपने इलाके की इज्जत बनाएंगे। उनके अनुसार, वे अब राम के नाम पर और विकास के मुद्दों पर वोट कर रहे थे, ताकि उनके क्षेत्र का विकास हो सके इसके अलावा, बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभान पासवान का व्यक्तिगत व्यवहार भी मतदाताओं को काफी भाया। उनका व्यवहार उन लोगों के बीच आकर्षण का कारण बना, जो पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को वोट देते थे। वहीं, अजीत प्रसाद अपने ही खेमे को मजबूती से संभालते नजर आए मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में 400 से अधिक बूथ थे, जिनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा बूथों पर बीजेपी को एकतरफा समर्थन मिला। बीजेपी के नेताओं द्वारा आयोजित चौपालों का भी असर दिखा, जहां उन्होंने अपनी योजनाओं को जनता के सामने रखा। कुल मिलाकर, मिल्कीपुर के एग्जिट पोल नतीजे यह संकेत दे रहे हैं कि बीजेपी एक मजबूत और अच्छे मार्जिन से इस चुनाव में जीतने वाली है, और प्रत्याशियों द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए आरोपों का कोई खास असर नहीं दिखा