मआरएफ के शेयर में गिरावट से निवेशकों को झटका लगा है, लेकिन कंपनी की लंबी अवधि की परफॉर्मेंस अभी भी मजबूत है. अगर आप इस स्टॉक में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो यह समय कंपनी की फंडामेंटल एनालिसिस पर गौर करने का है एमआरएफ (Madras Rubber Factory) के शेयर में पिछले एक साल में भारी गिरावट देखी गई है, जो अब भारत का सबसे महंगा शेयर नहीं रहा। 1 साल पहले यह शेयर 1,51,445 रुपये के उच्चतम स्तर पर था, लेकिन अब यह 1,12,400 रुपये पर आ गया है, जो 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर से लगभग 40,000 रुपये कम है। इस दौरान कंपनी के शेयर ने 20% का निगेटिव रिटर्न दिया है, और पिछले महीने में यह 14% गिरा है। इस गिरावट का असर एमआरएफ के बाजार पूंजीकरण पर भी पड़ा है, जो घटकर 48,000 करोड़ रुपये रह गया है एमआरएफ के शेयर में गिरावट के प्रमुख कारणों में भारतीय ऑटो सेक्टर पर मंदी का असर, कमजोर डिमांड, और भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट शामिल हैं। इसके अलावा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और निवेश धारणा का भी असर पड़ा है एमआरएफ की स्थापना 1946 में केएम मामेन मपिल्लई ने गुब्बारे बनाने के व्यवसाय से की थी, और 1952 में मद्रास रबर फैक्ट्री (एमआरएफ) की शुरुआत हुई। कंपनी ने 1961 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का दर्जा प्राप्त किया और 1965 में अमेरिका में टायर निर्यात करना शुरू किया। 1980 में टू-व्हीलर टायर का उत्पादन शुरू हुआ और 1993 तक कंपनी ट्रक, कार और बाइक टायर के क्षेत्र में प्रमुख बन गई एमआरएफ के शेयर ने पिछले दो दशकों में शानदार रिटर्न दिए हैं, 2004 में इसकी कीमत केवल 1,548 रुपये थी, जो 2015 तक 44,922 रुपये तक पहुंच गई थी। हालांकि, अब यह एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स के पीछे है, जिसका वर्तमान शेयर मूल्य 1,37,010 रुपये है, और यह अब भारत का सबसे महंगा शेयर बन चुका है
MRF Share Price: भारत का सबसे महंगा शेयर MRF नहीं रहा, 1 साल में 40,000 रुपये गिरावट आई

मआरएफ के शेयर में गिरावट से निवेशकों को झटका लगा है, लेकिन कंपनी की लंबी अवधि की परफॉर्मेंस अभी भी मजबूत है. अगर आप इस स्टॉक में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो यह समय कंपनी की फंडामेंटल एनालिसिस पर गौर करने का है एमआरएफ (Madras Rubber Factory) के शेयर में पिछले एक साल में भारी गिरावट देखी गई है, जो अब भारत का सबसे महंगा शेयर नहीं रहा। 1 साल पहले यह शेयर 1,51,445 रुपये के उच्चतम स्तर पर था, लेकिन अब यह 1,12,400 रुपये पर आ गया है, जो 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर से लगभग 40,000 रुपये कम है। इस दौरान कंपनी के शेयर ने 20% का निगेटिव रिटर्न दिया है, और पिछले महीने में यह 14% गिरा है। इस गिरावट का असर एमआरएफ के बाजार पूंजीकरण पर भी पड़ा है, जो घटकर 48,000 करोड़ रुपये रह गया है एमआरएफ के शेयर में गिरावट के प्रमुख कारणों में भारतीय ऑटो सेक्टर पर मंदी का असर, कमजोर डिमांड, और भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट शामिल हैं। इसके अलावा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और निवेश धारणा का भी असर पड़ा है एमआरएफ की स्थापना 1946 में केएम मामेन मपिल्लई ने गुब्बारे बनाने के व्यवसाय से की थी, और 1952 में मद्रास रबर फैक्ट्री (एमआरएफ) की शुरुआत हुई। कंपनी ने 1961 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का दर्जा प्राप्त किया और 1965 में अमेरिका में टायर निर्यात करना शुरू किया। 1980 में टू-व्हीलर टायर का उत्पादन शुरू हुआ और 1993 तक कंपनी ट्रक, कार और बाइक टायर के क्षेत्र में प्रमुख बन गई एमआरएफ के शेयर ने पिछले दो दशकों में शानदार रिटर्न दिए हैं, 2004 में इसकी कीमत केवल 1,548 रुपये थी, जो 2015 तक 44,922 रुपये तक पहुंच गई थी। हालांकि, अब यह एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स के पीछे है, जिसका वर्तमान शेयर मूल्य 1,37,010 रुपये है, और यह अब भारत का सबसे महंगा शेयर बन चुका है