Report By : ICN Network
नोएडा सेक्टर-56 स्थित उत्तराखंड पब्लिक स्कूल के बाहर सोमवार को शिक्षकों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इन शिक्षकों का आरोप है कि जब उन्होंने अपना बकाया वेतन मांगा, तो स्कूल प्रबंधन ने उन्हें वेतन देने की बजाय नौकरी से निकालने का नोटिस थमा दिया।
प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने कहा कि स्कूल प्रबंधन काफी समय से उनके वेतन में मनमानी कर रहा था। कई महीनों से उन्हें वेतन नहीं दिया गया और जब उन्होंने इस संबंध में सवाल उठाया तो उन्हें धमकियां मिलने लगीं। कुछ शिक्षकों को कथित तौर पर बर्खास्तगी के पत्र भी थमा दिए गए।
एक शिक्षिका ने बताया कि वे लंबे समय से स्कूल में सेवाएं दे रही हैं, लेकिन जब उन्होंने अपना मेहनताना मांगा, तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। उनका कहना है कि वेतन मांगना कोई अपराध नहीं है, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने इसे असहनीय मानते हुए अनुचित कार्रवाई की है।
शिक्षकों का आरोप है कि स्कूल के चेयरमैन की ओर से उन्हें धमकाया भी गया। उनका कहना है कि उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के निकाला गया और उनके अनुभव प्रमाण पत्र तक देने से इनकार कर दिया गया।
शिक्षकों ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से मामले में हस्तक्षेप कर निष्पक्ष जांच कराने और उनकी नौकरियों को बहाल करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते न्याय नहीं मिला, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
इस घटनाक्रम से स्कूल में पढ़ रहे बच्चों और अभिभावकों के बीच भी चिंता का माहौल है। कई अभिभावकों ने भी शिक्षकों का समर्थन करते हुए स्कूल प्रबंधन से पारदर्शिता और जिम्मेदारी की मांग की है।
इस पूरे प्रकरण को लेकर अभी तक स्कूल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, शिक्षकों की मांग है कि उनकी सेवा बहाल की जाए और बकाया वेतन तुरंत दिया जाए।
यह मामला ना सिर्फ श्रमिक अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है।