Report By : ICN Network
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के बीच हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस मुलाकात को भारतीय राजनीति के संदर्भ में अहम माना जा रहा है, क्योंकि इसमें संगठन और सरकार के बीच रणनीतिक समन्वय को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री मोदी ने नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया, जहां उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात की और संगठन के वर्तमान और भविष्य के उद्देश्यों को लेकर विचार-विमर्श किया। इस बैठक के दौरान, संघ की विचारधारा, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के साथ-साथ 2029 के आम चुनावों के लिए संभावित रणनीति पर चर्चा की गई।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात केवल एक औपचारिक बैठक नहीं थी, बल्कि इसके पीछे महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श था। बैठक में आगामी वर्षों में देश की राजनीतिक दिशा, संगठन की भूमिका और भाजपा और आरएसएस के बीच समन्वय को और मजबूत करने पर बात हुई।
बैठक के दौरान, राष्ट्रीय स्तर पर विचारधारा को और प्रभावी बनाने के लिए योजनाओं पर चर्चा की गई। इसमें हिंदुत्व, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और समाज में समरसता बढ़ाने के प्रयासों पर जोर दिया गया। साथ ही, सरकार की नीतियों को संघ के दृष्टिकोण से कैसे और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है, इस पर भी विचार-विमर्श हुआ।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री से समाज के विभिन्न वर्गों को साथ लेकर चलने और विकास की प्रक्रिया में सबको शामिल करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों को बनाए रखना महत्वपूर्ण है और इसके लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक भविष्य की राजनीति को लेकर भाजपा और आरएसएस के बीच बढ़ते तालमेल को दर्शाती है। 2029 के आम चुनावों से पहले यह बैठक संकेत देती है कि सरकार और संगठन की विचारधारा और रणनीति एक समान दिशा में आगे बढ़ रही है। बैठक के बाद इस पर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है और इसे आने वाले समय में देश की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।