ग्रेटर नोएडा। गाजियाबाद के पत्थर व्यापारी के बेटे का अपहरण करने की साजिश अगस्त माह में बना ली गई थी। अपहृणकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर युवक के वीडियो देखे जिसमें खुद को युवक ने अपने को बड़ा करोबारी बताया था। इन वीडियो को देखने के बाद ही रेकी करने के लिए अपहरणकर्ता पीड़ित की दुकान तक पहुंच गए। वहां से व्यापारी के बेटे का नंबर लिया और फिर हनीट्रैप में फंसाकर अपहरण कर लिया। 5 दिन के बाद आरोपी चार करोड़ की जगह 50 लाख रुपये फिरौती लेने को तैयार हो गए, लेकिन तब तक पुलिस अपहृणकर्ताओं तक पहुंच गई और मुठभेड़ के बाद दो और तीन अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस गिरोह की सदस्य युवती और एक अन्य की तलाश कर रही है। पुलिस ने पूछताछ के बाद आरोपियों को कोर्ट के समक्ष पेश कर जेल भेज दिया है।
डीसीपी ग्रेटर नोएडा साद मियां खान ने बताया कि पत्थर व्यापारी का बेटा शशांक सोशल मीडिया पर सक्रिय है। वो कारोबार के बारे में भी पोस्ट करता है। मुख्य आरोपी निमय शर्मा कर्ज में डूबा हुआ था। उसने सोशल मीडिया पर पोस्ट देखी। उसके एक दोस्त को पत्थर चाहिए थे तो मुख्य आरोपी निमय पत्थर व्यापारी मनीष गुप्ता की दुकान पर लेकर गया। वहां से शशांक गुप्ता का मोबाइल नंबर ले लिया। उसके बाद आरोपी निमय ने अपने दोस्त आलोक यादव के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रची। ग्रेनो वेस्ट की एग्जोटिका ड्रीम विले सोसाइटी में रहने वाला निमय वहीं पर टूर एंड ट्रेवल्स का काम करता है। उसके साथ आलोक यादव भी काम करता है। दोनों शशांक को हनीट्रैप में फंसाने के लिए अपनी दोस्त निशा उर्फ प्रीति का इस्तेमाल किया। प्रीति ने व्हाट्सएप व सामान्य कॉल पर बात कर शशांक से दोस्ती कर ली।
डीसीपी ने बताया कि 9 सितंबर को प्रीति ने शशांक को मिलने के लिए नोएडा बुलाया। वहां प्रीति शशांक की गाड़ी में बैठ गई, लेकिन साथ में अन्य आरोपी मोहित गुप्ता, अंकित और सुमित भी बैठ गए। युवती ने तीनों को अपना दोस्त बताया और कुछ दूर बाद उतरने का हवाला दिया। कुछ दूर जाने पर युवती कार से उतर गई और शशांक को पीछे बैठा दिया। अपहरण के बाद आरोपी मोहित कार चलाकर अंकित व सुमित के साथ पीड़ित शशांक को कन्नौज के कस्बा छिबरामऊ के मोहल्ला शास्त्री नगर पहुंच गए। यहां मोहित के मामा श्यामसुंदर गुप्ता के खाली मकान में बंधक बनाकर रखा। मोहित, अंकित व श्यामसुंदर वहीं रहे। जबकि आलोक व निमय आते जाते रहते थे।
दिल्ली व आसपास से करते थे फिरौती की कॉल: पुलिस ने बताया कि अपहृत शशांक को कन्नौज में रखा गया, लेकिन आरोपी मोहित और आलोक दिल्ली, अलीगढ़ समेत आसपास से फिरौती की कॉल करते थे। ताकि पुलिस को कन्नौज के ठिकाने का पता नहीं चल सके। पुलिस को गुमराह करने के लिए ऐसा किया गया।फिरौती में 50 लाख देना हुआ तयअपहृणकर्ताओं ने शशांक के परिजनों से फिरौती में 4 करोड़ की मांग की थी, लेकिन आखिर में 50 लाख रुपये में सौदा हुआ। आरोपियों ने बाकी पैसे बाद में देने की बात कहीं। 50 लाख रुपये लेने के लिए आरोपी पीड़ित को लेकर जेवर आए। यहां पुलिस ने आरोपियों को दबोचकर पीड़ित को छुड़वाया। डीसीपी ने बताया कि आरोपियों ने अपहरण में सात मोबाइल का प्रयोग किया। जो चोरी व लूट के थे। इनको सीमावर्ती इलाकों से चोरी व लूटा गया था। हनीट्रैप में फंसाने के लिए युवती ने भी इसी मोबाइल का प्रयोग किया। पुलिस ने जांच के दौरान 200 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। साथ ही मोबाइल की सीडीआर और फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की मदद ली।मासूम है शशांक, अपने 3500 रुपये भी मांगेअपहृत शशांक गुप्ता काफी मासूम है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आरोपियों ने उसकी जेब से 3500 रुपये भी निकाल लिए थे। उसने पुलिस से 3500 रुपये भी दिलाने की गुहार लगाई। साथ ही शशांक ने ही आरोपियों को बताया था कि कार में जीपीएस लगा हुआ है। वो पकड़े जाएंगे। जब पुलिस ने उसे छुड़ाया तो वो पुलिस को ही बदमाश समझने लगा और पुलिस की कार में बैठने से इंकार करने लगा। बाद में पुलिस वालों ने उसे समझाया। जिसके बाद बदमाश अपनी दूसरी कार से फरार हो गए। दूसरी कार भी पीछे चल रही थी। जो आरोपी आलोक यादव की है, लेकिन उस पर नंबर प्लेट फर्जी थी।