राजा भैया ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि शास्त्र केवल ज्ञान का स्रोत हैं, लेकिन संस्कृतियों की रक्षा शस्त्रों से ही संभव है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इतिहास गवाह है, शस्त्रों के बिना संस्कृतियों और सभ्यताओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। तक्षशिला और नालंदा जैसे ऐतिहासिक शिक्षण केंद्रों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि तक्षशिला का महत्व कभी खत्म नहीं हुआ, लेकिन नालंदा को एक लुटेरे ने आग के हवाले कर दिया, जिससे वह ज्ञान का केंद्र नष्ट हो गया राजा भैया ने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि जब उन्हें वनवास हुआ, तो उन्होंने सबकुछ त्याग दिया, लेकिन उन्होंने अपने शस्त्रों को कभी नहीं छोड़ा। शस्त्रों का महत्व केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और आत्मरक्षा का भी प्रतीक है उन्होंने आगे कहा कि इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां शस्त्रों की अनुपस्थिति में संस्कृतियों को नष्ट कर दिया गया। शस्त्र और शास्त्र दोनों ही मानव जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन जब बात संस्कृति और सभ्यता की रक्षा की हो, तो शस्त्र की भूमिका अहम हो जाती है राजा भैया ने अपनी बात समाप्त करते हुए युवाओं से अपील की कि वे अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझें और उनका सम्मान करें। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में आत्मरक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करना आवश्यक है। इस संदेश के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ज्ञान और सुरक्षा का संतुलन ही एक सशक्त समाज की नींव है
राजा भैया बोले, “संस्कृति की रक्षा शस्त्रों से संभव, शास्त्र केवल ज्ञान का आधार हैं

राजा भैया ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि शास्त्र केवल ज्ञान का स्रोत हैं, लेकिन संस्कृतियों की रक्षा शस्त्रों से ही संभव है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इतिहास गवाह है, शस्त्रों के बिना संस्कृतियों और सभ्यताओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। तक्षशिला और नालंदा जैसे ऐतिहासिक शिक्षण केंद्रों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि तक्षशिला का महत्व कभी खत्म नहीं हुआ, लेकिन नालंदा को एक लुटेरे ने आग के हवाले कर दिया, जिससे वह ज्ञान का केंद्र नष्ट हो गया राजा भैया ने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि जब उन्हें वनवास हुआ, तो उन्होंने सबकुछ त्याग दिया, लेकिन उन्होंने अपने शस्त्रों को कभी नहीं छोड़ा। शस्त्रों का महत्व केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और आत्मरक्षा का भी प्रतीक है उन्होंने आगे कहा कि इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां शस्त्रों की अनुपस्थिति में संस्कृतियों को नष्ट कर दिया गया। शस्त्र और शास्त्र दोनों ही मानव जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन जब बात संस्कृति और सभ्यता की रक्षा की हो, तो शस्त्र की भूमिका अहम हो जाती है राजा भैया ने अपनी बात समाप्त करते हुए युवाओं से अपील की कि वे अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझें और उनका सम्मान करें। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में आत्मरक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करना आवश्यक है। इस संदेश के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ज्ञान और सुरक्षा का संतुलन ही एक सशक्त समाज की नींव है