• Mon. May 5th, 2025

दुनिया पर छा रहा है आर्थिक तूफान, क्या भारत फिर से बच पाएगा मंदी की मार से?

Report By : ICN Network

मंदी एक ऐसी आर्थिक स्थिति है जिसमें किसी देश की विकास दर रुक जाती है या नकारात्मक हो जाती है। जब किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगातार दो तिमाहियों तक घटता है, तो उसे तकनीकी रूप से मंदी माना जाता है। इस स्थिति में उत्पादन में गिरावट आती है, कंपनियों की बिक्री घटती है, लोगों की खर्च करने की क्षमता कम हो जाती है और बेरोजगारी बढ़ने लगती है।

मंदी के कई कारण हो सकते हैं। सबसे प्रमुख कारण है मांग में गिरावट। जब लोग कम खरीदारी करते हैं, तो कंपनियों को भी उत्पादन घटाना पड़ता है, जिससे वे कर्मचारियों की छंटनी करने लगती हैं। इसके अलावा वैश्विक संकट जैसे युद्ध, महामारी या बड़े देशों की आर्थिक स्थिति खराब होना भी मंदी ला सकते हैं। उदाहरण के तौर पर रूस और यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ा दी, जिससे अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुईं।

बैंकिंग सेक्टर का संकट भी एक बड़ा कारण होता है। जब बैंक लोन देना बंद कर देते हैं या खुद संकट में आ जाते हैं, तो व्यापार और निवेश पर बुरा असर पड़ता है। 2008 की वैश्विक मंदी इसका एक बड़ा उदाहरण है। साथ ही, यदि सरकार गलत नीतियां अपनाती है या अचानक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करती है, तो भी मंदी की स्थिति पैदा हो सकती है।

हाल के वर्षों में कुछ देशों ने टैरिफ (आयात शुल्क) की नीति अपनाई, जिसमें दूसरे देशों से आयात होने वाले सामानों पर भारी टैक्स लगाया गया। इससे विदेशों से आने वाला सामान महंगा हो जाता है, जिससे लोगों की खरीदारी घटती है और महंगाई बढ़ती है। जब उपभोक्ता खर्च घटाते हैं, तो कंपनियों का उत्पादन और नौकरियां दोनों प्रभावित होती हैं। इसके अलावा जिन देशों पर ये टैरिफ लगाए जाते हैं, वे भी जवाबी कार्रवाई में शुल्क बढ़ाते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध जैसी स्थिति बन जाती है। इतिहास में 1929 की महामंदी से पहले भी ऐसा ही हुआ था जब वैश्विक व्यापार में भारी गिरावट आई थी।

भारत जैसी अर्थव्यवस्था, जो वैश्विक बाजार से गहराई से जुड़ी है, पर इसका असर पड़ सकता है। अगर अमेरिका और अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आती हैं, तो भारत के आईटी, फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में निर्यात घट सकता है। हालांकि भारत की घरेलू मांग अभी भी मजबूत मानी जाती है, जो उसे वैश्विक मंदी के प्रभाव से कुछ हद तक बचा सकती है।

भारत इस आर्थिक तूफान से बच सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को सतर्कता बरतनी होगी और आर्थिक नीतियों को मजबूत बनाना होगा। घरेलू निवेश को बढ़ावा देना, स्थानीय उद्योगों को समर्थन देना और युवाओं को रोजगार देना ऐसी नीतियाँ हैं जो मंदी के प्रभाव को कम कर सकती हैं।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *