Report By : ICN Network
दिल्ली हाईकोर्ट ने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत जानकारी को याचिकाकर्ता की पसंद के अनुसार डिजिटल माध्यम—जैसे ईमेल या पेन ड्राइव—से उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर स्पष्ट और प्रभावी नियम बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट का कहना है कि इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि आवेदक अपनी पसंद के फॉर्मेट में सूचना प्राप्त कर सके।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि RTI अधिनियम की धाराएं 2(जे), 4(4) और 7(9) पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक रूप से सूचना देने की इजाजत देती हैं, लेकिन इसे लागू करने के लिए कोई मजबूत व्यवस्था नहीं है।
न्यायमूर्ति गेडेला ने इस गैप को भरने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह डिजिटल माध्यमों से सूचना साझा करने के लिए उपयुक्त और आधुनिक नियम बनाए, जिससे RTI के असल उद्देश्य को पूरा किया जा सके।
यह निर्देश आदित्य चौहान और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आज भी सूचना देने के लिए फ्लॉपी डिस्क या डिस्केट जैसे पुराने माध्यमों का ज़िक्र किया जाता है, जबकि जन सूचना अधिकारी (PIO) अक्सर ईमेल या पेन ड्राइव जैसे सुविधाजनक विकल्पों से जानकारी देने से मना कर देते हैं, जबकि कानून इसकी इजाजत देता है।
याचिका में RTI शुल्क के भुगतान के लिए यूपीआई और नेट बैंकिंग जैसे आधुनिक पेमेंट विकल्पों को अपनाने की भी सिफारिश की गई, ताकि प्रक्रिया को और अधिक सहज और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया जा सके।