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सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 40 साल पुराने मामले में FIR, पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद

Report By : ICN Network
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 40 साल पुराने कानपुर एंटी-सिख दंगे की प्राथमिकी को पुनर्रचना करने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों को शामिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य की कानूनी सेवा प्राधिकरण से भी शिकायतकर्ताओं और पीड़ितों के परिजनों के लिए प्रमुख आपराधिक वकीलों को नियुक्त करने को कहा है

सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक 40 साल पुराने मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को एफआईआर फिर से तैयार करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से एफआईआर को पुनः लिखवाए। यह आदेश दिवान सिंह नाम के एक रिटायर्ड फौजी की हत्या के मामले में दिया गया, जिनकी हत्या 1 नवंबर 1984 को कानपुर के नौबस्ता इलाके में भीड़ द्वारा की गई थी

यह मामला उन 9 एफआईआर में से एक है, जिनकी जांच एसआईटी ने करीब 35 साल बाद की थी। सबूतों के अभाव में यह मामला बंद कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भले ही 40 साल का वक्त गुजर चुका हो, लेकिन न्याय मिलना चाहिए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पीड़ित परिवारों को कानूनी सहायता दी जाए और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण उनके लिए अच्छे क्रिमिनल वकील मुहैया कराए, जिनकी फीस राज्य सरकार वहन करेगी

एफआईआर के अनुसार, 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 150-200 लोगों की भीड़ ने दिवान सिंह के घर पर हमला किया, उनकी हत्या की और संपत्ति लूट ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और उज्ज्वल भुयन की बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह आदेश दिया

एसआईटी ने 11 अन्य मामलों में चार्जशीट दाखिल की है, लेकिन दिवान सिंह के मामले में न्याय की प्रक्रिया अधूरी रही। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की नई उम्मीद लेकर आया है। देखना होगा कि फॉरेंसिक जांच और नई एफआईआर के बाद दोषियों को सजा दिलाने में कितना समय लगता है

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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