Report By : ICN Network
News : आज के डिजिटल युग में जहां सोशल मीडिया हमारे विचारों को प्रभावित करने में एक अहम भूमिका निभाता है, सही और गलत जानकारी में फर्क करना पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है। इसी विषय पर 23 अगस्त 2024 को एक वेबिनार आयोजित किया गया जिसका शीर्षक था “टेलीग्राम पर गलत जानकारी अभियानों की जांच कैसे करें?” यह आयोजन क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, दिल्ली एनसीआर के मीडिया इनोवेशन सेंटर (MIC) और डिजिटल फॉरेंसिक रिसर्च एंड एनालिटिक्स सेंटर (DFRAC) के संयुक्त प्रयास से हुआ।
आपको बतादें इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य टेलीग्राम जैसे तेजी से लोकप्रिय हो रहे प्लेटफ़ॉर्म पर फैल रही गलत जानकारी को समझने और उससे निपटने के तरीकों पर प्रकाश डालना था। खासकर आजकल की युवा पीढ़ी, जो टेलीग्राम जैसी प्राइवेट मैसेजिंग सेवाओं का खूब इस्तेमाल करती है, आसानी से इन प्लेटफार्मों पर फैलने वाली गलत सूचनाओं का शिकार हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए, इस वेबिनार ने छात्रों, शिक्षकों और पेशेवरों को जरूरी उपकरणों और तकनीकों से लैस किया।
वेबिनार की मुख्य वक्ता, अटलांटिक काउंसिल की डिजिटल फॉरेंसिक रिसर्च लैब (DFRLab) की रिसर्च एसोसिएट सुश्री सय्यारा माम्मादोवा ने टेलीग्राम पर फैलने वाली गलत जानकारी के तरीके और उसकी तीव्रता पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे बॉट्स, फेक अकाउंट्स और पोस्ट्स की सुनियोजित टाइमिंग का उपयोग कर झूठी खबरें तेजी से फैलती हैं। माम्मादोवा ने प्रतिभागियों को ओपन-सोर्स टूल्स का उपयोग करके इन अभियानों की जांच और उन्हें पहचानने के उपाय भी बताए।
कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने पूरी दिलचस्पी दिखाई, खासकर जब बात डिजिटल छेड़छाड़ को पहचानने और रिवर्स इमेज सर्च जैसे तकनीकों की आई। छात्रों, शिक्षकों और पेशेवरों ने इस वेबिनार से न केवल डिजिटल मीडिया में फैलती गलत जानकारियों को पहचानने के लिए नए उपकरण सीखे, बल्कि वे इसे लेकर अधिक सतर्क और जागरूक भी हुए।
DFRAC की सीनियर रिसर्चर और फैक्ट चेकर, सुश्री आयुषी राणा ने भी एक इंटरैक्टिव सत्र का संचालन किया, जिसमें उन्होंने नैतिक और तकनीकी चुनौतियों पर चर्चा की। प्रतिभागियों ने इस सत्र के दौरान विभिन्न सवाल उठाए, जिनका जवाब देते हुए सुश्री राणा ने गलत जानकारी की जांच में आने वाली कठिनाइयों को भी स्पष्ट किया।
यह वेबिनार महज एक सीखने का मंच नहीं था, बल्कि युवाओं को डिजिटल दुनिया में गलत जानकारी से बचने और उसे पहचानने का एक सशक्त अवसर प्रदान किया। ऐसे आयोजनों के माध्यम से युवा न सिर्फ जागरूक हो रहे हैं, बल्कि वे अब डिजिटल कंटेंट को समझदारी से जांचने और सच्चाई की पहचान करने के लिए अधिक तत्पर होते जा रहे हैं।
आज की तेजी को देखते हुए मीडिया के एक अनोखे बदलाव में , जहां गलत जानकारी तेजी से फैल रही है, इस तरह के आयोजन समाज को अधिक सतर्क और जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।