Report By : Ankit Srivastav, ICN Network
रामनगरी में भी अवैध मदरसों का संचालन हो रहा है। जिले में जांच के दौरान ऐसे 55 मदरसे चिह्नित किए गए हैं। अब इन मदरसों को मिलने वाली फंडिंग की पड़ताल हो रही है। इन मदरसों ने यदि मदरसा बोर्ड से मान्यता नहीं ली तो इन्हें बंद कराया जा सकता है। अवैध मदरसों में पढ़ने वाले छात्र- छात्राओं की संख्या 3250 है। जिले में 145 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इनमें से आठ अनुदानित हैं। अनुदानित मदरसों के अध्यापक और कर्मचारियों को राज्य सरकार नियमित वेतन देती है। वर्ष 2017 में मदरसा पोर्टल बना था, तब सभी अनुदानित और मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच कराई गई थी। हाल ही में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच कराई गई। इस दौरान ऐसे मदरसे जो मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं हैं, उन्हें खंगाला गया। तब पता चला कि अयोध्या में 55 मदरसे अवैध तरीके से संचालित हो रहे हैं। यह रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अमित प्रताप सिंह ने बताया कि शासन के निर्देश पर अब अनुदानित मदरसों की भी जांच कराई जा रही है। इसमें देखा जा रहा है कि निर्धारित मानक और मदरसा बोर्ड की नियमावली का पालन किया जा रहा है या नहीं। यदि मानक और नियमावली की अनदेखी मिली तो इसकी रिपोर्ट निदेशालय और शासन को भेजी जाएगी। जो भी दिशा-निर्देश मिलेंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।रुदौली में सबसे ज्यादा अवैध मदरसे, जांच रिपोर्ट में कई बिंदु शामिल है जिले में अवैध मदरसों की जो कुंडली तैयार की गई है, उसमें कई तरह का ब्योरा दर्ज किया गया है। बिना मान्यता वाले मदरसे वैसे तो सभी तहसीलों में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा संख्या रुदौली में है। जांच के बाद बनाई गई रिपोर्ट में कई तरह के बिंदु शामिल किए गए हैं। इसमें किस मदरसे में कितने बच्चे पढ़ रहे हैं, कितने टीचर हैं, यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या, आधारभूत संरचना, नदवा से तो संबद्धता नहीं, यहां के बच्चे कहीं और भी पढ़ते हैं या नहीं, यह सब दर्ज किया गया है। कई जगह दी जा रही सिर्फ दीनी तालीम, चंदा व जकात का भी सहारा जिले में संचालित कई अवैध मदरसों में सिर्फ दीनी तालीम ही दी जा रही है। यहां पर गणित, अंग्रेजी व विज्ञान समेत अन्य कोर्स नहीं पढ़ाए जाते हैं। मदरसा व मकतब की श्रेणी भी निर्धारित की गई है। जांच के दौरान यह भी पता चला है कि कुछ मदरसों की आय का स्रोत चंदा तो कुछ का जकात है। कई मदरसों के संचालकों ने यह भी बताया कि वे स्वयं के संसाधन से संचालन कर रहे हैं।