बुंदेलखंड के महोबा में अप्रैल की बढ़ती तपिश का असर यहां की पेयजल समस्या पर सीधा पड़ रहा है। साल दर साल पेयजल समस्या से जूझ रहे इस जनपद को आज भी पीने के पानी की दरकार है। सरकार ने खेत और पेट को पानी देने के लाख दावे किए मगर अभी भी जनपद के ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए लोग संघर्ष कर रहे है। बूंद बूंद पानी की खातिर टैंकरों के भरोसे ग्रामीणों को लंबी लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है तब कहीं जाकर पीने के पानी का इंतजाम हो पाता है। ग्रामीण अंचलों में हालत और भी खराब है जहां लंबी दूरी से पानी लाने को लोग मजबूर है। वहीं टैंकरों से पहले पानी पाने के लिए खाली ड्रम और पाइप लेकर लोग टूट पड़ते है।
महोबा जनपद की पेयजल समस्या कोई नई नहीं है, लेकिन बढ़ती गर्मी के साथ यह समस्या विकराल रूप ले लेती है। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण महोबा के लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरसने को मजबूर है। खासकर ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की किल्लत से जन जीवन जूझ रहा है। सरकार ने महत्वाकांक्षी अर्जुन सहायक परियोजना और हर घर नल योजना से इस समस्या के निदान करने का दम भरा है जो अभी भी नाकाफी है। जनपद महोबा में चार ब्लॉक कबरई, पनवाड़ी चरखारी और जैतपुर है। इन में सबसे अधिक समस्या जैतपुर और कबरई ब्लाक में देखने को मिल रही है। जहां पीने के पानी के कई किलोमीटर दूरी तय कर पानी मिल पा रहा है तो कई इलाकों में इक्का दुक्का हैंडपंपों के सहारे लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए मजबूर हैं तो वही कई ऐसे भी इलाके हैं जहां पानी न के बराबर होके के कारण लोग टैंकरों पर निर्भर हैं। जैतपुर ब्लॉक के कुलपहाड़ कस्बे में लोग सुबह से ही हाथों में पानी के पाइप खाली बर्तन लेकर नगर पंचायत के टैंकर का इंतजार करने लगते हैं। कस्बे में हर साल गर्मी लगते ही पानी के लिए लोगों का संघर्ष शुरू हो जाता है। कुलपहाड़ अंतर्गत गांधीवार्ड, पठवापुरा इलाकों में पहुंच रहे टैंकरों से लोग बा मुश्किल दिनचर्या के लिए पानी जुटा पाते है तो कई ऐसे भी है जिन्हे पानी नहीं मिल पाता। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे, महिलाएं और पुरुष सब पानी के इंतजाम में लगे रहते है कि कैसे उन्हे इस्तेमाल के लिए अपनी मिल सकें। कई बार टैंकरों से पानी भरने के दौरान लोगों के बीच विवाद और मारपीट हो जाता है। इनकी माने तो 15 वर्षों से ये समस्या है मगर जनप्रतिनिधियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया सिर्फ वादे और आश्वासन हो इन्हे मिले है।
ऐसे ही हालत जैतपुर इलाके के हैं जहां पर पीने के पानी के लिए लोग हैंडपंपों के भरोसे हैं, लेकिन यहां के अधिकतर हैंडपंप जवाब दे चुके हैं। जैतपुर के कचेरनपुरा, डेवडीपुरा, नयापुरा, शमशान घाट इलाका, नरेयापुरा में पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। जहां मोहल्ले में लगे हैंडपंपों का जलस्तर नीचे चले जाने से लोगों को लंबी दूरी तय कर पीने का पानी मिलता है। लंबी-लंबी लाइन में लगकर महिलाएं पुरुष अपनी बारी का इंतजार हैंडपंप से पानी भरने के लिए करते रोजाना दिखाई पड़ते हैं। यह समस्या पिछले 3 वर्षों की है जो खत्म होने का नाम नहीं ले रही जबकि इन इलाकों में नलों के कलेक्शन किए गए हैं लेकिन उनमें पानी न होने से सभी हैंडपंप पर निर्भर हैं। इनका कहना है कि शिकायतों के बावजूद भी प्रशासन उनकी इस समस्या का निदान नहीं कर पा रहा जबकि चुनाव का दौर चल रहा है ऐसे में जनप्रतिनिधियों के पूर्व के वादे भी आज तक इन्हे पानी नहीं दिला पाए।
इसी जैतपुर ब्लॉक में आने वाले अरघटमऊ गांव के हालात और भी खराब है। जहां पर साइकिलों से पानी के बर्तन लेकर लंबी दूरी से ग्रामीण पानी लाने को मजबूर हैं। गांव के बाहर जलश्रोतो से इन्हें बा मुश्किल पानी मिल पाता है वही पानी भरने के लिए इन्हें खासी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। साइकिल और सर पर पानी के बर्तन रखकर कई दो किलोमीटर दूर से यह पानी ला रहे हैं। मुढ़ारी, आनंदपुरा, सौरा में भी पेयजल की समस्या बनी हुई है। जबकि मुख्यालय से लगे शाहपहाडी गांव में भी पीने के पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। नलों में पानी न आने के कारण लोग पेयजल की समस्या से परेशान हैं। तो वहीं हैंडपंप से भी पानी नहीं मिल पा रहा। ऐसे में यहां के ग्रामीणों ने हाइवे को जाम कर जमकर प्रदर्शन किया। जाम में नारेबाजी कर प्रशासन से पानी का इंतजाम किए जाने की मांग की गई।
बात कबरई कस्बे की करें तो यहां गर्मी शुरू होते ही पीने के पानी की भारी किल्लत शुरू हो जाती है। कबरई कस्बा के हालात बद,से बदतर है । 40 हजार की आबादी वाले इस कबरई कस्बे में लोग बूंद, बूंद पानी को तरस रहे है । प्रशासन इस नगर में टैंकरों से पानी सप्लाई करवा रहा है पर पानी के लिये परेशान लोग पानी का टैंकर आते ही उस पर कब्जा कर पानी लूटने की होड़ मचा देते है। कबरई वासियों की प्यास बुझाने के लिए कलशाह बाबा धाम में पानी की टंकी का निर्माण भी कराया गया और पाइप लाइन भी बिछाई गई मगर आज तक उसे शुरू नहीं किया गया । कस्बे के राजेंद्र नगर, इंदिरा नगर, आजाद नगर, विवेक नगर, रानी लक्ष्मीबाई नगर, भगत सिंह नगर, शंकर पुरवा आदि स्थानों में टैंकर से पानी भेजा जा रहा है। दो दिन में एक बार यह टैंकर मोहल्लो में पहुँचते है जो नाकाफी है। घर आने वाले मेहमानों के लिए चाय नास्ता का इंतजाम तो यहाँ के लोग कर देते है मगर पीने के पानी देने से कतराते है। मोहल्लों में टैंकर के इंतजार में घंटों पहले से लोग ड्रम, प्लास्टिक के पाइप, पानी के डिब्बे लेकर इंतजार करने लगते हैं और जैसे ही टैंकर आता है पहले पानी भरने के लिए मारामारी मच जाती है। कस्बे के व्यापारियों व अन्य लोगों ने कई बार इस बाबत जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई मगर नतीजा आज भी सिफर है। वर्षों पुरानी इस समस्या से यहाँ के लोग निजात चाहते है मगर समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही। जिसको लेकर लोगों में बड़ी नाराजगी है। इनकी माने तो इन्हे नहाने और शौच क्रिया तक के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।