क्या हैं विशेष परिस्थितियां?
- माता-पिता का ट्रांसफर: अगर किसी बच्चे के माता-पिता का ट्रांसफर हो जाता है, विशेष रूप से सशस्त्र बलों, केंद्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या निजी क्षेत्र में कार्यरत पैरेंट्स का ट्रांसफर हो जाता है, तो उन्हें एडमिशन में छूट मिल सकती है.
- रिपीटिंग स्टूडेंट्स: वो बच्चे जिन्हें किसी कारणवश उसी क्लास में दोबारा पढ़ना पड़ता है.
- गंभीर बीमारी से ग्रस्त बच्चे: अगर कोई बच्चा गंभीर बीमारी के कारण पढ़ाई में पिछड़ गया है और उसे फिर से एडमिशन की जरूरत है.
- हॉस्टल से डे-स्कॉलर: हॉस्टल जीवन से डे-स्कॉलर जीवन में प्रवेश लेने वाले छात्रों को प्रवेश में छूट दी जाएगी.
- स्टडी इंप्रूवमेंट: बेहतर एकेडमिक परफॉर्मेंस के लिए फिर से एडमिशन चाहने वाले छात्र. यह छूट केवल तभी लागू होती है जब स्कूल के पास कोई और रास्ता ना हो.
- कौन से स्कूल ले सकते हैं 45 छात्रों का एडमिशन?
- सीबीएसई के नियमों के मुताबिक, 45 छात्रों को प्रवेश देने वाले स्कूलों को कुछ बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करनी होंगी. इसमें कम से कम 500 वर्ग फुट का क्लास रूम और प्रति छात्र कम से कम 1 वर्ग मीटर जगह शामिल है. सीबीएसई ने स्कूलों को भविष्य में प्रति सेक्शन 40 छात्रों की सीमा को फिर से लागू करने के लिए तैयार रहने की सलाह दी है, जिसके लिए नई कक्षाओं का निर्माण या मौजूदा सुविधाओं में सुधार की जरूरत हो सकती है.