Report By : Ankit Srivastav, ICN Network
ED ने (प्रवर्तन निदेशालय) लगातार बिल्डर कंपनियों की जानकारी नोएडा प्राधिकरण से मांग रहा है। इसकी बड़ी वजह बायर्स के करोड़ों रुपए का हेरफेर है। नोएडा में करीब 80 हजार फ्लैट बायर्स ऐसे हैं, जिनकों फ्लैट पाने और 30 से 40 हजार फ्लैट बायर्स को रजिस्ट्री का इंतजार है।
इन सभी ने फ्लैट बुकिंग का 95 से 100% तक पैसा बिल्डरों के खाते में जमा करा दिया। यही पैसा अन्य प्रोजेक्ट या अन्य कंपनियों में लगाने का आरोप है। ईडी ने जो जानकारी मांगी है वो मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मांगी गई है।
शिकायतों के बाद प्रवर्तन निदेशालय अब प्राधिकरण से बिल्डर कंपनियों की जानकारी मांग रहे है। ताकि इन पर शिकंजा कसा जा सके। साथ ही बायर्स को उनका आशियाना दिलाया जा सके। बता दे ईडी ने एटीएस और उससे किसी न किसी रूप में जुड़ी 63 कंपनियों की डिटेल मांगी है।
ईडी की जांच के दायरे में आम्रपाली, सुपरटेक, यूनिटेक के अलावा थ्रीसी बिल्डर की परियोजनाएं है। पिछले महीने ही ईडी ने थ्रीसी की लोटस 300 और लोटस बुलेवर्ड को लेकर जानकारी मांगी थी, जिसका संकलन किया जा रहा है।
ईडी ने जिन कंपनियों की जानकारी मांगी है। उनमें से अधिकांश को जमीन आवंटन 2009-10 के बीच किया गया। नियमानुसार प्राधिकरण ने बिल्डर को कुल प्लाट की लागत का 10 प्रतिशत रकम लेकर आवंटन किया। बिल्डरो ने फ्लैट बुकिंग की।
वायदा किया कि 3 से 5 सालों में बायर्स को उनका फ्लैट मिल जाएगा। ऐसा हुआ नहीं बिल्डर को जो पैसा बायर्स ने दिया उसे डायवर्ट किया गया। ये पैसा अन्य कंपनियों में लगाया गया। जिसका जमकर मुनाफा बिल्डरों ने कमाया। 14 साल बाद भी बायर्स को फ्लैट नहीं मिले और अब वो रोजाना प्रदर्शन कर रहे है।
हाल ही में, नोएडा प्राधिकरण ने भी एटीएस ग्रुप सहित 13 बिल्डरों को नोटिस जारी किया। ये सभी बिल्डर परियोजनाएं एनसीएलटी में दिवालिया प्रक्रिया में है। प्राधिकरण ने इनको 15 दिन का समय दिया है, कि क्या वे अपने मामलों को वापस लेना चाहते हैं।
यदि वे मामले वापस लेते है तो उनको राज्य सरकार के पुनर्वास पैकेज का लाभ मिल सकता है। सिर्फ इन 13 बिल्डर परियोजनाओं के ही नोएडा प्राधिकरण पर करीब 8 हजार करोड़ बकाया है। ये पैसा जमीन आवंटन का है। इसी जमीन पर फ्लैट के नाम पर बायर्स से करोड़ों रुपए लिए।
हालांकि प्राधिकरण पर बिल्डर का कुल बकाया 21 हजार करोड़ के आसपास का है। ये पैसा अब तक नहीं मिला। इसलिए ईडी अब प्राधिकरण से बिल्डरों कंपनियों की जानकारी मांग रही है।