Report By-Sudhir Tripathi Rae Bareli (UP)
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले मश्हूर शायर मुनव्वर राना ने कल देर रात लंबी बीमारी के बाद लखनऊ के पीजीआई में आखरी सांस ली। 71 वर्ष की उम्र में शोहरत की बुलंदियों व अपने बयानों से चर्चा बटोरने वाले मरहूम राना पिछले लंबे समय से बीमारियों से लड़ रहे थे। कल देर रात सपा नेता व मरहूम की बेटी सुमैय्या राना ने उनके इंतकाल का जिक्र किया। राना का जन्म 1952 में रायबरेली में हुआ था और शुरुवाती पढाई के बाद वो अपने पिता के साथ कोलकाता चले गए और आगे की पढ़ाई वही से पूरी की। लेकिन कोलकाता में रहते हुए ही इनका झुकाव नक्सलवाद की तरफ हो गया।इसकी भनक लगते ही इनके पिता ने इन्हें घर से निकाल दिया। बाद में ये लखनऊ आ गए और अपने परिवार के साथ यही बस गए। मुनव्वर राना का जन्म 26 नवम्बर 1952 को रायबरेली के बाजार क्षेत्र के अनवर राना के परिवार में हुआ था, उनकी मां आयशा खातून थी जिनके वो बहुत करीब थे। इनके जन्म के समय ही देश में बंटवारा हो चुका था और जमींदारी उन्मूलन हो रहा था जिसमे इनके पिता की भी जमींदारी चली गई। रोजी-रोटी कमाने के लिए इनके पिता कोलकाता चले गए और वँहा ट्रांसपोर्ट का धंधा करने लगे। कुछ समय बाद उन्होंने परिवार को भी वही बुला लिया। पढाई पूरी करने के बाद राना को लखनऊ की आबोहवा रास आई और वे यही बस गए। राना के कहने को तो पांच बच्चे थे लेकिन तीन बेटियों व एक बेटे का जिक्र सामने आता है।महरूम राना की बेटियां सुमैय्या,उरूसा व फौजिया है जिनमे से उरूसा व सुमैय्या उस समय चर्चा में आई जब उन्होंने सीएए व एन आर सी का जमकर विरोध किया। सुमैय्या व उरूसा पहले दोनों कांग्रेस पार्टी में थी लेकिन कुछ समय बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की उपस्थिती में उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली। वही राना के पुत्र तबरेज राना 2 साल पहले उस समय चर्चा में आये जब उनकी गाड़ी पर फायरिंग हुई और उन्होंने उसका आरोप अपने चाचा व उनके बेटो पर लगाया।जमीन जायदाद को लेकर उनका अपने ही परिवार में विवाद चल रहा था। लेकिन पुलिसिया जांच में ये आरोप गलत साबित हुए और तबरेज व उनके साथियो पर इस साजिश को रचने का सच सामने आया जिसमे पुलिस ने लखनऊ आवास से तबरेज को गिरफ्तार कर लिया।