Report By-Sudhir Tripathi Raebareli(UP)
यूपी के राय बरेली में एक माँ अपने लापता बेटे की बेसब्री से इंतेज़ार कर रही है उसे उम्मीद है कि उसका बेटा जहाँ भी है वो जीवित है वो घर ज़रूर लोट कर आएगा। यूपी पुलिस नाबालिक गुमशुदा के प्रति जितना गंभीर दिखती है,उतना गंभीर अन्य गुमशुदा के प्रति नहीं दिखती है। अन्य गुमशुदा व्यक्तियों की तलाश में खास दिलचस्पी न लेने के कारण आज रायबरेली में ही सैकड़ो व्यक्ति गुमशुदा है, जिनका कहीं कोई अता-पता नहीं चल सका।
ऐसे में उनके परिजनों को उनकी चिंता और याद लगातार उन्हें सताती रहती है। कई बार तो ऐसा भी होता है,कि लापता परिजन की चिंता में अन्य परिवार वाले व्यक्ति त्योहार तक नहीं मानते हैं। ऐसे में उन परिवारों पर क्या बिताती है, आईए जानते हैं।
ऐसा ही एक परिवार रायबरेली के इब्राहिमपुर ग्राम सभा के अंतर्गत बीबियापुर गांव में बबिता और सुरेंद्र का है। बबिता के परिवार में कुल 6 सदस्य थे। जिनमे पति-पत्नी के अतिरिक्त दो लड़की व दो लड़के शामिल है। बबिता का दूसरे नंबर का लड़का प्रदीप है, जिसकी उम्र लगभग 18 वर्ष की थी। ढाई साल पहले उनकी जिंदगी में एक ऐसा मनहूस दिन आया, जिसे याद करो आज भी सहम जाती हैं। रोज की तरह उस दिन भी प्रदीप काम के सिलसिले में घर से निकला और अब तक वापस नहीं आया। बबिता के पति सुरेंद्र राजगीर का काम करते थे, जिससे परिवार की दो वक्त की रोटी चलती थी। मेहनत मजदूरी के लिए पति-पत्नी के साथ बड़े हो चुके बच्चे भी परिवार चलाने में उनका हाथ बंटाते थे। बबिता बताती हैं, कि बच्चे की खोज में उन्होंने दिन-रात एक कर दिया लेकिन जब बच्चों का कोई सुराग न लगा तो उन्होंने पुलिस में गुमशुदगी दर्ज कराई लेकिन अभी तक कोई पता न चल सका। बच्चे की सोच में उनके पति की भी तबीयत बिगड़ती गई और लगभग डेढ़ साल पहले वह भी दुनिया छोड़कर चले गए। पति के न रहने पर परिवार के चलने की आर्थिक जिम्मेदारी अब बबिता के कंधों पर ही निर्भर थी। ऐसे में बच्चों की खोज से महत्वपूर्ण अब परिवार की दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना था जिसके कारण गुमशुदा बच्चों की खोज को बंद करना पड़ा। लेकिन उन्हें आज भी भरोसा है कि उनका बेटा प्रदीप एक दिन जरूर वापस आएगा। इसी उम्मीद के साथ आज भी अपने बेटे की राह देखती रहती है।