Report By-Saurabh Tripathi Hardoi (UP)
यूपी के हरदोई में पृथ्वी पर जहां-जहां सती के अंग गिरे हैं, वहां पर सिद्ध शक्तिपीठ की स्थापना हुई है। देवी पुराण के मुताबिक, देवी माता सती का कर्ण भाग हरदोई के इसी स्थान पर गिरा था, जो माता श्रवण देवी के नाम से विख्यात है। माता श्रवण देवी की मूर्ति पाषाण पंचमुखी है। इस मूर्ति का किसी भी कारीगर के द्वारा निर्माण नहीं किया गया है। वैष्णो माता के दरबार के बाद में यह दूसरी पंचमुखी पाषाण मूर्ति है, माता के दर्शन और पूजा-अर्चना करने से पंच सुखों की प्राप्ति होती है और पंचमहाभूत भी शांत होते हैं।
उत्तर प्रदेश के हरदोई में माता श्रवण देवी मंदिर की स्थापना 1864 से पूर्व की बताई जाती है। इसका निर्माण बाबा उमानाथ ने कराया था जबकि इस मन्दिर का जीर्णोंद्धार समलिया प्रसाद सेठ ने कराया था। कथा के अनुसार जब प्रजापति दक्ष के यहाँ पर यज्ञ का आयोजन किया जिसमें शिव को निमंत्रण नहीं दिया गया। दक्ष की कन्या मां सती ने बिना बुलाए ही यज्ञ में जाने की अनुमति शिव से मांगी, लेकिन उन्होंने सती को मना किया। सती के आग्रह पर शिवजी को अनुमति देनी पड़ी। यज्ञ में शिव का अपमान देखकर सती ने यज्ञ में ही अपनी आहुति दे दी। इसकी जानकारी होने पर शिव भगवान क्रोधित हो गए और सती के जले हुए शरीर को अपने कंधे पर डाल कर भ्रमण करने लगे। जहां-जहां सती का जो अंग गिरा वह उसी के नाम से पीठ बन गई। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में पर माता श्रवण का कान गिरा था, इसलिए यहां पर श्रवण देवी मंदिर सिद्ध पीठ स्थापित हो गई। इसका उल्लेख देवी भागवत में भी देखने को मिलता है।
मंदिर में मां श्रवण देवी की कई सालों पुरानी मूर्ति स्थापित है, इसके अलावा यहां पर विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है। श्रवण देवी के मंदिर में कई छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं।