Report By-Ganesh Kumar Sonbhadra (UP)
यूपी के सोनभद्र सुबे से लेकर विदेशों तक टमाटर के क्षेत्र में पहचान बना चुका यूपी का जनपद सोनभद्र आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जी हाँ मैं बात कर रहा हुँ , जनपद के लाल रसीले टमाटरों की जो देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी गुणवत्ता के लिए ख्यात है। कभी दिल्ली की मंडियों से सजकर पाकिस्तान की अवाम का चहेता रहा व बांग्लादेश, नेपाल की मण्डियों तक अपनी पहुँच रखने वाला जनपद का टमाटर आज अपनी दुर्दशा पर बदहाली का आँसू बहा रहा है। किसानों की यह दुर्दशा के कई कारण सामने आ रहे है जिनमे समर्थन मूल्य, टमाटर की खरीदारी के लिए कोई क्रय केंद्र का न होना, सरकारी मंडियों तक इनका न पहुंचना। अधिकारी भी मान रहे है कि किसानों के टमाटर का समर्थन मूल्य होना चाहिए जिससे कि किसानों को उनके लागत के साथ लाभ भी मिल सके। इसके अलावा जनपद में कोल्ड स्टोरेज व अन्य सुविधओं का न होना भी किसानों के चिंता का कारण है।
यूपी के जनपद सोनभद्र में घोरावल, रावर्ट्सगंज, नगवां, दुद्धी, बभनी, म्योरपुर ब्लाक में लगभग चार से पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानों द्वारा टमाटर की फसल की जाती है। कभी यहां से टमाटर पाकिस्तान बांग्लादेश काठमांडू समेत अन्य देशों को निर्यात की किए जाते थे वर्तमान समय की बात करें तो टमाटर की खेती करने वाले किसान आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। करमा क्षेत्र में टमाटर निकलना शुरू ही हुआ है कि टमाटर का मण्डियों में रेट 4-5 रुपये किलो हो गया ठण्ड भी पड़नी शुरू हो गयी है ऐसे में टमाटर के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। क्योंकि 1 बीघा टमाटर की खेती करने में 25 से 30 हजार रुपये की लागत आती है। जब शुरुआत में ही टमाटर के भाव अच्छे नहीं मिले तो किसानों की लागत भी निकल पाना मुश्किल लग रहा है। किसान करे तो क्या करे उसकी समझ मे नहीं आ रहा है क्योंकि किसान टमाटर के लिए किसी और की जमीन बटाई पर 10 से 12 हजार रुपये में लेकर करते हैं जब टमाटर का रेट नहीं मिलेगा तो जमींदार को रुपये कैसे चुकाएंगे और उनके बच्चों का भरण पोषण कैसे होगा।
जिला उद्यान अधिकारी भी मान रहे हैं कि जिले में टमाटर की पैदावार अच्छी खासी होती है लेकिन किसानों को उनके उत्पादन लागत में मिलने की वजह से वह हताश हो रहे हैं बड़े पैमाने पर टमाटर की पैदावार को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा को समर्थन मूल्य भी निर्धारित नहीं किया गया है और ना ही फसलों के लिए क्रय केंद्र खोले गए हैं अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि सरकार की तरफ से कोल्ड स्टोरेज, मल्टी कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिंग यूनिट और कोई संसाधन ना होने की वजह से टमाटर का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है जिसके वजह से टमाटर के किसानों को असली हक नहीं मिल पा रहे है।
जिले में टमाटर की खेती करने वाले किसानों से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि इस बार तो बारिश ने टमाटर की आंधी खेती चौपट कर दी अब टमाटर का सही मूल्य नहीं मिला पा रहा है। हम लोगों को इतना भी रेट नहीं मिल रहा है कि हमारी जितनी लागत लगी है वह भी निकल सके। वहीं किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने टमाटर के किसानों के लिए नीति तैयार नहीं की तो टमाटर की खेती करने वाले किसान खड़े नहीं हो पाएंगे और आने वाले समय में सोनभद्र टमाटर की खेती करने वाले किसान के साथ साथ जिले का पहचान भी खो चुका होगा।