फोर्ब्स के अनुसार, ऐसा करके अमेरिका अनजाने में अपनी भू-राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर रहा है, जिससे उसके प्रतिद्वंद्वी अपने प्रभाव को मजबूत कर रहे हैं फोर्ब्स के एक लेख में अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) द्वारा भारतीय अरबपति गौतम अदाणी के खिलाफ किए गए अभियोग को एक “रणनीतिक भूल” करार दिया गया है, जिसके गंभीर भू-राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं। लेख में मेलिक कायलन ने कहा कि अदाणी पर लगे रिश्वतखोरी और वित्तीय गलतबयानी के आरोपों का असर भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ सकता है, खासकर जब वाशिंगटन चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए मजबूत अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहा है। लेख में यह भी बताया गया कि भारत, विशेषकर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMECE) जैसी परियोजनाओं में, पश्चिमी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार बन चुका है। यह परियोजना चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल (BRI) का मुकाबला करने के उद्देश्य से डिजाइन की गई है। ऐसे में अमेरिकी न्याय विभाग की कार्रवाई भारत को रूस और चीन के करीब खींच सकती है, जिससे पश्चिमी देशों का गठबंधन कमजोर हो सकता है। फोर्ब्स का मानना है कि इस प्रकार की कानूनी कार्रवाई वैश्विक साझेदारी को बाधित करती है, खासकर जब अमेरिका और यूरोप के आर्थिक, सैन्य और तकनीकी विरोधी मजबूत हो रहे हैं। लेख में यह भी कहा गया कि इस तरह की कार्रवाई से अमेरिका और यूरोप अपने सहयोगियों को कमजोर कर रहे हैं, जबकि उनके विरोधी जैसे चीन और रूस ताकतवर हो रहे हैं। लेख में यह निष्कर्ष निकाला गया कि अदाणी के खिलाफ न्याय विभाग की कार्रवाई सिर्फ कानूनी निर्णय नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक गलत कदम है, जो भारत को अलग-थलग करने का खतरा उत्पन्न करता है, जब पश्चिमी देशों के साथ उसके संबंध वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
फोर्ब्स के अनुसार, अदाणी के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग का अभियोग एक ‘रणनीतिक भूल’ है
फोर्ब्स के अनुसार, ऐसा करके अमेरिका अनजाने में अपनी भू-राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर रहा है, जिससे उसके प्रतिद्वंद्वी अपने प्रभाव को मजबूत कर रहे हैं फोर्ब्स के एक लेख में अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) द्वारा भारतीय अरबपति गौतम अदाणी के खिलाफ किए गए अभियोग को एक “रणनीतिक भूल” करार दिया गया है, जिसके गंभीर भू-राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं। लेख में मेलिक कायलन ने कहा कि अदाणी पर लगे रिश्वतखोरी और वित्तीय गलतबयानी के आरोपों का असर भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ सकता है, खासकर जब वाशिंगटन चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए मजबूत अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहा है। लेख में यह भी बताया गया कि भारत, विशेषकर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMECE) जैसी परियोजनाओं में, पश्चिमी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार बन चुका है। यह परियोजना चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल (BRI) का मुकाबला करने के उद्देश्य से डिजाइन की गई है। ऐसे में अमेरिकी न्याय विभाग की कार्रवाई भारत को रूस और चीन के करीब खींच सकती है, जिससे पश्चिमी देशों का गठबंधन कमजोर हो सकता है। फोर्ब्स का मानना है कि इस प्रकार की कानूनी कार्रवाई वैश्विक साझेदारी को बाधित करती है, खासकर जब अमेरिका और यूरोप के आर्थिक, सैन्य और तकनीकी विरोधी मजबूत हो रहे हैं। लेख में यह भी कहा गया कि इस तरह की कार्रवाई से अमेरिका और यूरोप अपने सहयोगियों को कमजोर कर रहे हैं, जबकि उनके विरोधी जैसे चीन और रूस ताकतवर हो रहे हैं। लेख में यह निष्कर्ष निकाला गया कि अदाणी के खिलाफ न्याय विभाग की कार्रवाई सिर्फ कानूनी निर्णय नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक गलत कदम है, जो भारत को अलग-थलग करने का खतरा उत्पन्न करता है, जब पश्चिमी देशों के साथ उसके संबंध वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।