Report By : Mayank Khanna (ICN Network)
यासीन मलिक ने 1988 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ-वाई) की स्थापना की। इस संगठन के तहत, यासीन और उसके आतंकवादी साथियों ने 1990 में श्रीनगर के रावलपुरा में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या की, जो एक चौंकाने वाला हमला था। इस हत्या ने पूरे देश में आतंक के प्रति एक नई चिंता पैदा कर दी।
वर्तमान में, यासीन मलिक दिल्ली की तिहाड़ जेल में टेरर फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। उनका मामला देश के सुरक्षा और न्याय प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु बन गया है। यासीन ने अपनी गतिविधियों के लिए देश के खिलाफ हिंसा का सहारा लिया, लेकिन अब वह अपने विचारों में बदलाव का दावा कर रहा है।
मलिक का कहना है कि उन्होंने 30 साल पहले हथियार छोड़ दिए और अब वह गांधीवादी विचारों का समर्थन करते हैं। उनका यह बयान उनके वर्तमान विचारधारा के विकास और व्यक्तिगत परिवर्तन को दर्शाता है। यासीन मलिक का जीवन और संघर्ष जम्मू और कश्मीर की जटिल राजनीति, आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को उजागर करता है। उनकी कहानी, जो शुरुआत में आतंकवाद और हिंसा से जुड़ी थी, अब एक बदलाव और नई सोच की ओर बढ़ रही है, जो समाज के प्रति जिम्मेदारी और शांति की दिशा में इंगित करती है