प्रदर्शन कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया। उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने नियमों का पालन करते हुए तीन महीने के भीतर अभ्यर्थियों की नियुक्ति का आदेश दिया। हालांकि, सरकार ने इस मामले में टालमटोल की नीति अपनाई, जिससे मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। वहां भी सरकार की लापरवाही जारी रही, जिससे हमें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा। हमारी मांग है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में हमारा पक्ष प्रभावी रूप से रखे और जल्द से जल्द हमें न्याय दिलाए।