Report By : शारिक खान (कानपुर यूपी)
वेटरेनस डे के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कानपुर में पूर्व सैनिकों के सम्मान समारोह में शिरकत करने पहुंचे, तो उनके दिल में सैनिकों के लिए वासी आत्मनियता निकलकर सामने आ गई। वह बोल पड़े मेरे पूर्व जन्म के पुण्य का कवि फल रहा होगा। जिससे इस जन्म में सैनिकों के साथ आत्मीय संबंध बनाने का मुझे मौका मिला। रक्षा मंत्री आज कानपुर में एयर फोर्स स्टेशन पर पूर्व सैनिकों के सम्मान में आयोजित समारोह में भाग लेने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कानपुर के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदार हुए नाना साहब पेशवा और तात्या टोपे का जिक्र करते हुए आजाद हिंद फौज की पहली कैप्टन लक्ष्मी साइकिल का भी जिक्र करके कानपुर की देश के लिएलड़ने वाली सैनिक विरासत का जिक्र किया।
इसके साथ-साथ उन्होंने पाकिस्तान के सैनिकों के द्वारा बॉर्डर पर हिंदुस्तान के सैनिकों के साथ पहले जो क्रूरता की गई थी उसका नाम ना लेते हुए बंद शब्दों में इशारा किया कि हम अपने सैनिकों के साथ-साथ न्याय के पक्ष में खड़े दूसरे देश के सैनिकों का भी सम्मान करते हैं। भारत के इतिहास में ऐसी कोई घटना नहीं है। जिसमें हमने दूसरे देश के सैनिकों के साथ कभी अमानवीय व्यवहार किया हो इसलिए हमारे देश के सैनिकों का दूसरे देशों में सम्मान किया जाता है।
रक्षा मंत्री ने सैनिकों की महत्ता का जिक्र करते हुए कहा जिस तरह ईश्वर हमारा रक्षक होता है। इस तरह सैनिक ईश्वर से कम नहीं इसलिए हमें अपने सैनिकों के साथ-साथ उनके परिवार जनों का भी हमेशा ख्याल रखना चाहिए क्योंकि सैनिक सिर्फ पैसे के लिए बॉर्डर पर अपनी जान निछावर करने नहीं चाहता की कभी पैसे के लिए कोई आदमी अपना जीवन पर लगता हो ऐसा दिखता नहीं बॉर्डर पर देश सेवा करने वाला सैनिक सिर्फ राष्ट्र के बारे में सोचता है।