पुलिस ने भी अपनी चार्जशीट में मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल शुक्ला को ही सौरभ की हत्या का दोषी माना है। तीसरा इस हत्याकांड में कोई नहीं है। चर्चित हत्याकांड में कोई चश्मदीद गवाह भी नहीं है। ब्रह्मपुरी थाने के प्रभारी निरीक्षक और इस हत्याकांड के विवेचक इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी ने सोमवार को सीजेएम न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की। आरोप पत्र में बताया गया कि प्रेम प्रसंग में सौरभ बाधा बन रहा था। इसी कारण मुस्कान और साहिल शुक्ला ने उसकी हत्या कर दी। दोनों ने ही हत्या की साजिश रची थी। तीसरा इसमें कोई नहीं था। सीने में चाकू घोंप कर हत्या करके बाद मुस्कान ने उस्तरे से और साहिल शुक्ला ने छूरी से सौरभ की गर्दन और दोनों हाथ काटे थे। सौरभ को रास्ते से हटाने के बाद दोनों शादी करना चाहते थे। हत्याकांड को अंजाम देने के बाद दोनों शिमला, मनाली, कसौल घूमने गए, वहां पर दोनों पति-पत्नी के रूप में होटलों में ठहरे थे। पुलिस ने एक हजार पेज के आरोपपत्र में सौरभ के भाई बबलू, मां रेणू, बहन चिंकी, मुस्कान की मां कविता रस्तोगी, पिता प्रमोद रस्तोगी, मुस्कान-साहिल को हिमाचल प्रदेश घुमाने ले गए टैक्सी ड्राइवर अजब सिंह, दवा लिखने वाले डॉक्टर, दवाई देने वाले दुकानदार अमित कौशिक, घंटाघर पर ड्रम विक्रेता सिराजुद्दीन, सौरभ के मकान मालिक ओमपाल, चाकू विक्रेता, ड्रम विक्रेता, शारदा रोड पर सीमेंट व बालू विक्रेता, सौरभ के दोस्त को गवाह बनाया है। इनके अलावा शिमला, मनाली, कसौल में मुस्कान और साहिल जिन होटलों में ठहरे थे वहां के होटल संचालकों को भी गवाह बनाया गया है। पोस्टमार्टम करने वाले दो डॉक्टर, ड्रम तोड़ कर शव के टुकड़ों को बाहर निकालने वाले स्वास्थ्यकर्मी के भी बयान दर्ज किए गए हैं। इन सबके अलावा आरोपपत्र में करीब 10 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि सौरभ हत्याकांड से संबंधित सभी साक्ष्य एकत्र किए गए हैं। साथ ही केस से जुड़े करीब 34 लोगों के बयानों को मजबूत आधार बनाया है, ताकि मुस्कान और साहिल को कड़ी सजा मिल सके। सोमवार को आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिए गए हैं। ब्रह्मपुरी पुलिस ने सौरभ हत्याकांड में दस्तावेज के एकत्र किए साक्ष्यों के अलावा इलेक्ट्रानिक्स और डिजिटल साक्ष्य भी एकत्र किए हैं। सभी गवाहों के बयान कागजों में दर्ज करने के अलावा गवाहों की वीडियो भी बनाई गई है। ये सभी साक्ष्य न्यायालय में मुकदमे के ट्रायल के दौरान प्रस्तुत किए जाएंगे।
सहायक पुलिस अधीक्षक अंतरिक्ष जैन ने बताया कि कोर्ट में पेश किए गए आरोप पत्र में छह पेज में कम्प्यूटराइज्ड चार्जशीट की समरी, विवेचक की केस डायरी, सीडीआर, नकल रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट आदि दस्तावेज शामिल हैं।
पुलिस ने अपने आरोप पत्र में सौरभ हत्याकांड की मुख्य वजह को प्रेम संबंध बताया है। तंत्र-मंत्र जैसी किसी भी गतिविधि को पूरी तरह खारिज कर दिया गया है। हत्या के बाद साहिल के कमरे से बरामद सामान को लेकर यह अफवाह फैल गई थी कि तांत्रिक अनुष्ठान के लिए सौरभ की गर्दन काटी गई। हालांकि, पुलिस जांच में इस थ्योरी को सिरे से नकार दिया गया है। चार्जशीट के अनुसार, मुस्कान और साहिल एक-दूसरे को पढ़ाई के दिनों से जानते थे और 2019 में दोनों की दोबारा मुलाकात ने इस रिश्ते को प्रेम में बदल दिया। सौरभ इस रिश्ते में बाधा बन रहा था, इसलिए दोनों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी ताकि वे शादी कर सकें।
लंदन के एक मॉल में काम करने वाला सौरभ राजपूत पूर्व में नेवी मर्चेंट में काम करता था। लंदन से 24 फरवरी को मेरठ अपने घर ब्रह्मपुरी आए सौरभ राजपूत ने 25 फरवरी को बेटी पीहू का जन्म दिन और 27 फरवरी को मुस्कान का जन्म दिन मनाया था। सौरभ की 3 मार्च की रात को पत्नी मुस्कान रस्तोगी ने अपने प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ मिलकर सीने में चाकू घोंप कर हत्या कर दी थी। इसके बाद दोनों ने शव के टुकड़े कर उन्हें प्लास्टिक के नीले ड्रम में सीमेंट के घोल से सील कर दिया था। हत्याकांड को अंजाम देने के बाद पांच मार्च को दोनों घूमने के लिए हिमाचल प्रदेश चले गए थे। 17 मार्च को दोनों मेरठ लौट कर आए थे। 18 मार्च को इस बहुचर्चित हत्याकांड का खुलासा हुआ था। 19 मार्च को पुलिस ने सौरभ के भाई बबलू की ओर से हत्या का मुकदमा दर्ज कर मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल शुक्ला को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था, तभी से दोनों जेल में बंद हैं। सोमवार को सौरभ हत्याकांड में मुस्कान और साहिल की कोर्ट में पेशी हुई, जो रिमांड को लेकर निर्धारित थी। दोनों को दोपहर में जिला कारागार के वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम में लाया गया, जहां वे करीब दो मिनट तक आमने-सामने रहे, लेकिन आपस में कोई बातचीत नहीं हुई। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से दोनों की पेशी जिला जज की अदालत में हुई। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने बताया कि केस में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, इसलिए रिमांड अवधि बढ़ाने की अब कोई आवश्यकता नहीं है। इसी माध्यम से दोनों आरोपियों को आरोप पत्र की प्रतियां भी प्रदान की गईं। अब अगला चरण चार्ज फ्रेम करने का होगा, जिसके बाद मुकदमे की सुनवाई (ट्रायल) शुरू की जाएगी।