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शिवसेना विधायक राजेंद्र गावित के निर्वाचन पर नहीं लगेगा रोक, बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की

Report By : ICN Network

बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवसेना विधायक राजेंद्र धेड्या गावित के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर जैन द्वारा दायर की गई इस याचिका में आरोप था कि गावित ने दो शादियां की हैं, जो हिंदू विवाह अधिनियम का उल्लंघन है, और उन्होंने चुनावी हलफनामे (फॉर्म-26) में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर चुनावी नियमों का उल्लंघन किया है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि हिंदू धर्म में दूसरी शादी की अनुमति नहीं है, बावजूद इसके गावित ने अपनी दूसरी पत्नी रूपाली गावित का उल्लेख हलफनामे में किया। याचिका में यह भी कहा गया कि उन्होंने फॉर्म-26 में अपनी मर्जी से एक नया कॉलम जोड़कर चुनाव नियम 4A का उल्लंघन किया है।

हालांकि, हाई कोर्ट की जस्टिस संदीप मारणे की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि गावित द्वारा दी गई जानकारी गलत नहीं है, और न ही यह चुनाव नियमों का उल्लंघन है। बेंच ने स्पष्ट किया कि किसी उम्मीदवार द्वारा फॉर्म में सत्य जानकारी देने के उद्देश्य से अतिरिक्त कॉलम जोड़ना कोई अपराध नहीं है।

राजेंद्र गावित, जो वर्तमान में पालघर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, 2024 के विधानसभा चुनाव में विजयी हुए थे। वह पहले कांग्रेस-एनसीपी सरकार में आदिवासी विकास मंत्री भी रह चुके हैं। 2018 में बीजेपी में शामिल हुए और पालघर लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल की। 2019 में वह शिवसेना में शामिल हुए और तब से पालघर से विधायक हैं।

सुधीर जैन, जो 130-पालघर निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता हैं, उन्होंने आरोप लगाया था कि गावित की दूसरी शादी हिंदू विवाह अधिनियम का उल्लंघन है, और फॉर्म-26 में ऐसा विवरण देना गैरकानूनी है। जैन के वकील नीता कर्णिक का तर्क था कि दूसरी पत्नी के बारे में जानकारी देना अनिवार्य नहीं है और कॉलम जोड़ना नियमों के विरुद्ध है।

गावित की ओर से पेश वकील नितिन गंगाल ने कोर्ट को बताया कि विधायक ने पहले उषा गावित से और फिर रूपाली गावित से विवाह किया था। दोनों पत्नियां इनकम टैक्स रिटर्न भरती हैं। उन्होंने कहा कि कॉलम जोड़ने का उद्देश्य केवल पारदर्शिता था और इससे चुनाव को अमान्य नहीं ठहराया जा सकता।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 2 आदिवासी समुदायों पर लागू नहीं होती, और चूंकि गावित भील जनजाति से आते हैं, उनके समुदाय में बहुविवाह की परंपरा मौजूद है।

कोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कि प्रत्याशी ने अपनी दूसरी पत्नी की आय और पैन की जानकारी दी है, यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने यह भी माना कि देश में ऐसे धर्म और समुदाय भी हैं जहां बहुविवाह की अनुमति है। इसलिए, केवल एक अतिरिक्त कॉलम जोड़ देने से चुनाव रद्द नहीं किया जा सकता और न ही इसे हलफनामे की त्रुटि माना जा सकता है।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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