सुप्रीम कोर्ट ने E20 पेट्रोल को पूरे भारत में मानक बनाने के सरकारी फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि E20 ईंधन गन्ना किसानों की मदद करेगा कच्चे तेल पर निर्भरता कम करेगा और उत्सर्जन घटाएगा। पुराने वाहनों में माइलेज में कमी आ सकती है और रखरखाव की आवश्यकता हो सकती है। नई कारें E20 के अनुकूल हैं।
नई दिल्ली। हाल ही में E20 पेट्रोल (20% इथेनॉल-मिश्रित ईंधन) को लेकर सुप्रिम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। यह याचिका E20 पेट्रोल को पूरे भारत में मानक बनाने के सरकारी फैसले के खिलाफ की गई थी। अब इसपर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले से अब यह साफ हो दया है कि भारत में इथेनॉल को बढ़ावा देने की मुहिम जारी रहेगी। जहाँ नई गाड़ियां E20-अनुकूल हैं, वहीं कई पुराने मॉडलों पर E20 ईंधन के इस्तेमाल का असर पड़ सकता है। याचिका में इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल के विकल्प और पंपों पर इथेनॉल की मात्रा की उचित लेबलिंग की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार की स्वच्छ ईंधन को आगे बढ़ाने की योजना का समर्थन किया।
क्यों दायर की गई थी याचिका?
इस याचिका को इस आधार पर दायर किया गया था कि भारतीय सड़कों पर चलने वाले हर वाहन को E20 फ्यूल के लिए डिजाइन नहीं किया गया है। अप्रैल 2023 से पहले बनी कारें और यहां तक कि कुछ BS6 मॉडल भी इस फ्यूल के पूरी तरह अनुकूल नहीं हैं। याचिका में इंजन में घिसाव, कम माइलेज और किसी खराबी की स्थिति में बीमा तथा वारंटी दावों से जुड़ी संभावित समस्याओं के बारे में चिंता जताई गई थी। याचिका करने वाले यह भी मांग की थी कि ग्राहकों को सूचित ऑप्शन चुनने का मौका देने के लिए पेट्रोल पंपों पर इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल भी मिलना चाहिए और इथेनॉल मिश्रण की मात्रा को स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए।