नैनीताल की ऐतिहासिक दुर्गा साह नगर पालिका पुस्तकालय
नैनीताल की ऐतिहासिक दुर्गा साह नगर पालिका पुस्तकालय के नवीनीकरण में हुए कथित घोटाले और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय को सख्त रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया। अमर उजाला में 25 अगस्त 2025 को प्रकाशित एक खुलासे भरी खबर का स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया। अदालत ने मुख्य सचिव, शहरी विकास विभाग, नैनीताल के जिला मजिस्ट्रेट और नगर पालिका परिषद को पक्षकार बनाकर जवाब तलब किया है। इन अधिकारियों को अब इस सियासी तूफान का सामना करना होगा, जिसमें करोड़ों रुपये की लागत से बनी धरोहर की खस्ताहाल हालत पर सवाल उठ रहे हैं।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जताते हुए कहा कि करदाताओं के करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद यह ऐतिहासिक पुस्तकालय खंडहर बनने की कगार पर है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यह भवन कभी भी ढह सकता है, जो न केवल एक धरोहर का नुकसान होगा, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा के लिए भी खतरा है। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्तूबर 2025 को निर्धारित की गई है, और तब तक सभी जिम्मेदार विभागों को अपनी सफाई के साथ विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी होगी।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब अमर उजाला ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि वर्ष 2016 में नैनीताल के हेरिटेज भवनों के संरक्षण के तहत इस पुस्तकालय के जीर्णोद्धार की योजना बनी। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने इसके लिए करीब 1.50 करोड़ रुपये का फंड मुहैया कराया। वर्ष 2023-24 में नवीनीकरण पूरा होने के बाद भवन को नगर पालिका को सौंप दिया गया, लेकिन चंद महीनों में ही इसकी दीवारें और संरचना खराब होने लगी। यह पुस्तकालय, जिसका निर्माण 1933-34 में दानदाता मोहन लाल साह के सहयोग से हुआ था, दुर्लभ और अनमोल पुस्तकों का खजाना है। हाईकोर्ट ने इस सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की तत्काल जरूरत पर जोर देते हुए सवाल उठाया कि इतनी भारी-भरकम राशि खर्च होने के बाद भी भवन की हालत जर्जर क्यों हो गई?
कोर्ट ने इस मामले को ‘सार्वजनिक धन की बर्बादी’ का प्रतीक माना और जिम्मेदार अधिकारियों को कटघरे में खड़ा किया। यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि उत्तराखंड की धरोहरों को संरक्षित करने की नीतियों पर भी सवाल उठाती है। क्या यह घपलेबाजी सुनियोजित थी, या महज लापरवाही का नतीजा? अगली सुनवाई में इन सवालों का जवाब मिलने की उम्मीद है, जब ये चार बड़े अधिकारी कोर्ट के सामने अपनी बात रखेंगे।