हरियाणा सरकार के सख्त आदेश से विभागों में हड़कंप
हरियाणा सरकार के एक तत्काल आदेश ने सभी विभागों, बोर्डों और निगमों में खलबली मचा दी है। मानव संसाधन विभाग ने प्रदेश के सभी प्रशासनिक इकाइयों से 2014 की विवादित नियमितीकरण नीति के तहत अब तक कच्चे (अस्थायी) कर्मचारियों को पक्का करने की विस्तृत जानकारी मांग ली है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस जानकारी को जमा करने के लिए सिर्फ 24 घंटे का समय दिया गया है, जिससे अधिकारियों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है।
24 घंटे का अल्टीमेटम: कल तक ईमेल से भेजनी होगी रिपोर्ट
गुरुवार को जारी इस पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सभी विभागों को संशोधित प्रारूप (प्रीजर्ल्ड फॉर्म) में आंकड़े सीधे महाधिवक्ता कार्यालय, हरियाणा को उपलब्ध कराने होंगे। नया डेटा 12 सितंबर 2025 तक ईमेल के माध्यम से मानव संसाधन शाखा को दोबारा भेजना अनिवार्य है। यदि 2014 की इस नीति के अनुसार संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं किया गया है, तो संबंधित विभागों को शून्य (जीरो) की जानकारी प्रदान करनी होगी। यह आदेश सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्ड-निगमों, डिवीजनल और डिप्टी कमिश्नरों को भेजा गया है।
सुप्रीम कोर्ट का दबाव: पुरानी रिपोर्ट अपर्याप्त, नया डेटा जरूरी
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कदम सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के चलते उठाया गया है। कोर्ट ने 28 जुलाई 2025 की पिछली सुनवाई में राज्य सरकार से नवीनतम डेटा उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। पहले भी 95 विभागों, बोर्डों और निगमों से नीति-2014 के तहत नियमित कर्मचारियों का डेटा मांगा गया था, जो सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जा चुका है। लेकिन अब अदालत ने पुरानी जानकारी को अपर्याप्त बताते हुए ताजा आंकड़ों की मांग की है। इस नीति के तहत कच्चे कर्मचारियों को स्थायी बनाने का प्रावधान है, लेकिन कई वर्षों से इस पर विवाद चल रहा है।
विभागों में हड़कंप: कर्मचारियों की उम्मीदें और अधिकारियों की परेशानी
इस अचानक आदेश से प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों को रात-दिन एक कर आंकड़े जुटाने पड़ रहे हैं, जबकि कच्चे कर्मचारियों में स्थायीकरण की उम्मीदें जाग उठी हैं। हरियाणा में लाखों अनुबंधित कर्मचारी वर्षों से पक्की नौकरी की मांग कर रहे हैं। सरकार ने पहले भी इस मुद्दे पर कमेटियां गठित की हैं और कुछ श्रेणियों के कर्मचारियों को राहत दी है, लेकिन 2014 की नीति पर अदालती हस्तक्षेप के बाद अब यह प्रक्रिया तेज हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चुनावी वर्ष में कर्मचारी वर्ग को साधने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।
यह आदेश हरियाणा सरकार की मानव संसाधन नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जिससे कच्चे कर्मचारियों के भविष्य पर असर पड़ेगा। विभागों को निर्देश है कि कोई भी चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और समयसीमा का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।