Delhi CM Rekha GuptaDelhi News:दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए सनसनीखेज हमले के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली पुलिस को स्पष्ट निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि आरोपी राजेश भाई खीमजी भाई सकरिया को 24 घंटे के भीतर प्राथमिकी (FIR) की कॉपी सौंपी जाए। यह महत्वपूर्ण फैसला ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट गौरव गोयल ने सुनाया, जिसने मामले की गंभीरता को और उजागर कर दिया।
सिविल लाइंस में हत्या का प्रयास: चौंकाने वाला मामला
20 अगस्त को दिल्ली के सिविल लाइंस स्थित मुख्यमंत्री के कैंप ऑफिस में हुई इस दिल दहलाने वाली घटना के संबंध में दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की थी। आरोप है कि राजेश भाई खीमजी ने मुख्यमंत्री पर हत्या के प्रयास जैसी संगीन वारदात को अंजाम दिया। इस मामले ने न केवल दिल्ली की सियासत में हलचल मचाई, बल्कि कानूनी हलकों में भी चर्चा का विषय बन गया।
आरोपी पक्ष की दलील: FIR कॉपी न मिलने से रक्षा में बाधा
कोर्ट में आरोपी के वकील ने जोरदार दलील पेश की कि दिल्ली पुलिस ने अब तक FIR की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई, जिसके चलते वे अपने कानूनी बचाव की तैयारी नहीं कर पा रहे। इस कमी ने उनके मुवक्किल के अधिकारों पर सवाल खड़े किए। दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि यह मामला अत्यंत संवेदनशील है और डीसीपी के आदेश पर FIR की कॉपी आरोपी को नहीं दी गई। पुलिस ने तर्क दिया कि ऐसे मामलों में कॉपी सीधे देने के बजाय, आरोपी को पुलिस कमिश्नर द्वारा गठित रिव्यू कमेटी में अपील करनी चाहिए।
कोर्ट ने दोहराया: FIR कॉपी देना आरोपी का हक
स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर प्रदीप राणा ने दिल्ली पुलिस का पक्ष रखते हुए कहा कि यदि FIR की कॉपी दी भी जाती है, तो आरोपी से लिखित आश्वासन लेना अनिवार्य है कि इसका उपयोग केवल कानूनी बचाव के लिए होगा, न कि सार्वजनिक मंचों पर। सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद, ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट किया कि FIR की कॉपी प्राप्त करना आरोपी का मौलिक अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने सख्ती से कहा कि आरोपी इस कॉपी को न तो सार्वजनिक डोमेन में डालेगा और न ही बिना कोर्ट की अनुमति के किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा करेगा।
24 घंटे का अल्टीमेटम: दिल्ली पुलिस पर बढ़ा दबाव
तीस हजारी कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ा निर्देश देते हुए कहा कि वह 24 घंटे के भीतर आरोपी को FIR की कॉपी उपलब्ध कराए। इस आदेश ने दिल्ली पुलिस पर त्वरित कार्रवाई का दबाव बढ़ा दिया है। कोर्ट के इस फैसले ने न केवल मामले में पारदर्शिता की मांग को बल दिया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि कानून का पालन सभी स्तरों पर हो।
निष्कर्ष: न्याय की दिशा में एक कदम
यह फैसला न केवल इस हाई-प्रोफाइल मामले में पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून सभी के लिए समान है। अब सभी की निगाहें दिल्ली पुलिस पर टिकी हैं, जो 24 घंटे के भीतर कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है। क्या यह मामला और नए खुलासों की ओर ले जाएगा? यह समय ही बताएगा।