आंदोलन के दौरान नारों में दिख रही तल्खी का कांग्रेस ने किया समर्थन
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा में हरिद्वार के एक केंद्र से प्रश्नपत्र के तीन पन्ने बाहर लीक होने के गुनाह ने युवाओं के खून को खौला दिया है। इस धांधली के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन ने न केवल युवाओं की भविष्य की चिंता को उजागर किया, बल्कि परीक्षा की पवित्रता पर भी सवाल खड़े कर दिए। अब यह आंदोलन सियासी तूफान बन चुका है, जहां ‘छीन के लेंगे आजादी’ जैसे उग्र नारे गूंज रहे हैं और पड़ोसी नेपाल की तर्ज पर इसे रंग देने की कोशिशें साफ नजर आ रही हैं। इसी बीच, सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस आमने-सामने आ खड़ी हुई हैं।
नारों की तल्खी ने राजनीतिक ध्रुवीकरण को तेज कर दिया है। कांग्रेस ने इन नारों को व्यवस्था की खामियों के खिलाफ गुस्से का इजहार बताकर अप्रत्यक्ष समर्थन दे दिया है, तो भाजपा ने पलटवार में इन्हें ‘जिहादी’ करार देकर आंदोलन को देशभर में भाजपा-विरोधी साजिश का हिस्सा ठहरा दिया है।
नकलघर का कांड: युवाओं का रोष, सरकार का त्वरित कदम
भर्ती परीक्षा में नकल का यह काला अध्याय सामने आते ही युवाओं में आक्रोश की लहर दौड़ गई। प्रदेश सरकार ने फौरन सतर्कता बरतते हुए प्रारंभिक जांच में पकड़े गए दोषियों पर सख्ती दिखाई है। फिर भी, युवाओं का आंदोलन रफ्तार पकड़ता जा रहा है। परीक्षाओं में गड़बड़ियों की गहन जांच की मांग को लेकर चला यह आंदोलन अब दूसरे तत्वों के घुसपैठ से जटिल होता जा रहा है, जिसका असर सड़कों पर साफ दिख रहा है।
आंदोलनकारियों के बीच उभरते ऐसे नारे सत्ताधारी भाजपा को चुभ रहे हैं। पार्टी को आंदोलन में वामपंथी उग्रवादियों की बढ़ती घुसपैठ से खतरा महसूस हो रहा है। साथ ही, कांग्रेस की भूमिका पर भी भाजपा की नजरें तरेर रही हैं। विपक्ष के समर्थन से मजबूत हुए इस आंदोलन में आपत्तिजनक नारेबाजी को भाजपा विपक्षी एजेंडे का हथियार मान रही है, हालांकि कांग्रेस ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है।
नारे व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा, भाजपा का दुष्प्रचार: धस्माना
कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि ये नारे मौजूदा सिस्टम की कमियों के प्रति युवाओं का जायज आक्रोश हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने भाजपा पर झूठ का पुलिंदा बांधकर आंदोलन को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आंदोलन नकल माफिया हाकम सिंह, धर्मेंद्र चौहान और धामी सरकार के खिलाफ ही केंद्रित है। सत्ताधारी दल घबरा गया है, इसलिए दुष्प्रचार की हवा चला रहा है।
जिहादी नारे देवभूमि की परंपरा से खिलवाड़: चमोली का तेवर
दूसरी ओर, भाजपा के दिग्गज नेता और विधायक विनोद चमोली ने आंदोलन को सशर्त समर्थन देते हुए कहा कि भर्ती परीक्षा की खामियों को ठीक करने के लिए संघर्ष जायज है, लेकिन आपत्तिजनक नारों ने इसे गलत दिशा दे दी है। परेड मैदान से गूंज रहे ‘जिहादी’ नारे सुनकर सवाल उठता है कि आंदोलन कहां जा रहा है? चमोली ने जोर देकर कहा कि देवभूमि की भगवा संस्कृति ही यहां की पहचान है—अगर भगवा नहीं चलेगा तो क्या चांद-सितारे लहराएंगे? उन्होंने इसे युवा हित से ज्यादा कांग्रेस और विपक्ष के भाजपा-विरोधी राष्ट्रीय एजेंडे का कड़ी करार दिया।
यह सियासी ठनगन न केवल आंदोलन को नई ऊंचाई दे रही है, बल्कि उत्तराखंड की राजनीति को भी नई मोड़ पर ला खड़ी कर रही है। युवाओं की आवाज कब सुनी जाएगी, यह तो वक्त बताएगा।