दिल्ली के इंडिया गेट पर प्रदूषण के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने एफआईआर में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) की धारा 197 भी शामिल कर दी है। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों के हाथों में हाल ही में मुठभेड़ में मारे गए माओवादी कमांडर माडवी हिड़मा के पोस्टर देखे गए, जिससे मामले की गंभीरता बढ़ गई है और संभावित नक्सली लिंक की जांच शुरू कर दी गई है।
पुलिस के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने कर्तव्य पथ को अवरुद्ध करने की कोशिश की और जब पुलिस ने उन्हें हटाना चाहा तो उन्होंने इसका विरोध किया। इस दौरान कुछ लोगों ने कथित रूप से पुलिसकर्मियों पर पेपर स्प्रे का इस्तेमाल भी किया, जिसके बाद स्थिति हाथापाई तक पहुंच गई। इन आरोपों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज करते हुए आरोपियों की पहचान और भूमिका की जांच शुरू कर दी है।
पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार 17 प्रदर्शनकारियों को तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने कोर्ट में तर्क दिया था कि सभी आरोपियों को 14 दिन की कस्टडी चाहिए, लेकिन मजिस्ट्रेट साहिल मोंगा ने केवल तीन दिन की हिरासत की अनुमति दी। पुलिस का कहना है कि पेपर स्प्रे का प्रयोग बेहद असामान्य घटना है और इससे पता चलता है कि प्रदर्शन की तैयारी पहले से की गई थी। पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार पांच प्रदर्शनकारी माडवी हिड़मा के समर्थन में नारे भी लगा रहे थे।
संसद मार्ग थाने में दर्ज एफआईआर में सरकारी आदेश की अवज्ञा, सरकारी कर्मचारी पर हमला, ड्यूटी में बाधा डालना, राज्य के खिलाफ साजिश और गलत तरीके से रास्ता रोकने जैसी कई धाराएँ लगाई गई हैं। इसी मामले में अलग से कर्तव्य पथ थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर पांच प्रदर्शनकारियों को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि एक नाबालिग जैसे दिखने वाले आरोपी को उसकी उम्र की पुष्टि होने तक निगरानी गृह भेजा गया है। हिरासत में भेजे गए आरोपियों की पहचान आकाश, अहान, अक्षय, समीर और विष्णु के रूप में हुई है।
यह पूरा मामला अब माओवादी संबंधों के आरोपों के चलते और जटिल हो गया है, और दिल्ली पुलिस दोनों कोणों — हिंसा और संभावित नक्सली समर्थन — से जांच को आगे बढ़ा रही है।