हल्द्वानी में फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच चल ही रही थी कि इसी बीच एक अरायजनवीस का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल गया, जिसने तहसील प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। वायरल वीडियो में योगेश नामक अरायजनवीस दावा करता दिख रहा है कि हल्द्वानी तहसील में काम करवाने के नाम पर पटवारी से लेकर एसडीएम तक अलग-अलग रकम ली जाती है। वीडियो सामने आते ही डीएम ने मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए।
वीडियो में योगेश यह आरोप लगाता है कि तहसील के काउंटरों पर तैनात लाइसेंसधारकों को अधिकारी अनावश्यक सवालों और जांच के नाम पर परेशान कर रहे हैं। वह कह रहा है कि बिजली कनेक्शन, बिल, शटरबंद काउंटर और जालीदार संरचना जैसे मसलों को अधिकारी अचानक अवैध बताने लगे हैं, जबकि यह सभी व्यवस्था प्रशासन के निर्देश पर ही की गई थी। योगेश वीडियो में पुरानी प्रशासनिक टीम का भी जिक्र करता है, यह कहते हुए कि जब यह कनेक्शन और एनओसी जारी हुई थीं, तब उस समय के डीएम, तहसीलदार और कैबिनेट मंत्री से अनुमति ली गई थी, इसलिए आज इन्हें अवैध ठहराना सही नहीं।
वीडियो में वह यह भी सवाल उठाता दिखाई देता है कि अगर काउंटरों को कानूनी रूप से अनुमति दी गई थी, तो आज अधिकारियों को वह अनुमति दिखाने में दिक्कत क्यों हो रही है। उसका आरोप है कि असली जांच के लिए अधिकारियों को जहां जाना चाहिए, वहां वे नहीं पहुंचते, जबकि लाइसेंसधारकों को लगातार दबाव में रखा जा रहा है। इसी बीच वह कथित रूप से यह भी बताता है कि हर फाइल पर पटवारी 600 रुपये, तहसीलदार 1200 रुपये, दाखिल–खारिज में 3000 रुपये और 143 से संबंधित फाइलों में एसडीएम के नाम पर 10,000 रुपये तक वसूले जाते हैं। उसके अनुसार रजिस्ट्रार ऑफिस से लेकर नाम सुधार तक हर जगह अव्यवस्था बनी हुई है।
वीडियो वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आ गया। पटवारी, तहसीलदार और उपजिलाधिकारी पर लगे आरोपों को गंभीर मानते हुए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) शैलेंद्र सिंह नेगी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। पूरे मामले की विस्तृत जांच कर 15 दिसंबर तक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासनिक पारदर्शिता पर उठ रहे इन सवालों ने तहसील महकमे में खलबली मचा दी है।