National : भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को थल सेना से कहा कि वह चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कड़ी निगरानी रखे क्योंकि चीनी सैनिकों की तैनाती को देखते हुए उत्तरी क्षेत्र में स्थिति ‘तनावपूर्ण’ बनी हुई है। सेना के सूत्रों ने बताया कि इस दौरान रक्षामंत्री ने सशस्त्र बलों से दुनिया भर में भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर ध्यान देने और उसके मुताबिक अपनी योजना और रणनीतियों को ढालने का आह्वान भी किया। राजनाथ सिंह की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बीते कई सालों से चल रहे सीमा विवाद के संदर्भ में आई है।
साथ ही , उनहोंने कहा, “उत्तरी क्षेत्र में पीएलए (चीनी) सैनिकों की तैनाती के कारण स्थिति तनावपूर्ण है। हमारे सशस्त्र बलों, खासकर भारतीय थल सेना को एलएसी की सुरक्षा के लिए लगातार सतर्कता बरतनी होगी।” रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में तीन साल से चल रहे सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा सरकार की “शीर्ष प्राथमिकता” है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि सरकार का भरसक प्रयास है कि सीमा पर तैनात हर जवान को अत्याधुनिक हथियार और सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।”
देश की सुरक्षा सरकार के लिए ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’
अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि देश की सुरक्षा सरकार के लिए “सर्वोच्च प्राथमिकता” है। ऐसे में मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि सरकार की पूरी कोशिश है कि सीमा पर तैनात हर जवान को बेहतरीन हथियार और सुविधाएं मुहैया कराई जाए। इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वहां शांति और स्थिरता है। साथ ही जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में भी गिरावट दर्ज की गई है। पश्चिमी सीमाओं पर स्थिति का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने सीमा पार आतंकवाद के लिए भारतीय सेना की प्रतिक्रिया की सराहना की।
उन्होंने कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में सीएपीएफ और पुलिस बलों के साथ सेना के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना करता हूं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में समन्वित अभियान क्षेत्र में स्थिरता और शांति बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इसे जारी रहना चाहिए।
पूर्वोत्तर के राज्यों का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री ने आगे कहा कि वहां भारतीय सेना द्वारा चलाए गए अभियानों के बाद आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य में काफी सुधार हुआ है। हालांकि हमें शांति के लिए सरकार के प्रयासों को चुनौती देने वाले राष्ट्र-विरोधी संगठनों के खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है।
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