Report By -Dhirendra Shukla , Chitrakoot (UP)
Chitrakoot -अवध की सत्ता बनी थी चित्रकूट ! एक ऐसी तपस्थली जहां की मिटृी पहाडों , वनों और झरनों की खुशबू देश विदेश के योगियों ,ऋषियों और श्रद्वालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती रही है । विचित्रत्राओं के परिवेश में पल्लवित होती धरा का नाम पुराने जमान में ही चित्रकूट दे दिया गया था । इस धरा पर आने वाला सैलानी यहां देखे जाने वाले नयनाभिराम द्श्यों को देखकर आनंदित हो उठता है।
विचित्रताओ और विभिन्नताओं वाले इस क्षेत्र पर कही कल-कल करती मंदाकिनी का सुन्दर जल है तो कही विध्य पर्वत श्रंखलाओं का उन्मुक्त यौवन विखेरती पहाडियां हैं तों कही सुन्दर गुफाओं में मौजूद नायाव नमूने हैं तो कही किलोमीटरों में फैले विशालकाय जंगल हैं ।पर्यटक उन्हें देखकर अपनी सद्द बुध विसरा देता है । देश में मौजूद अन्य पर्यटन केंन्द्रो की तरफ जाने वाले लोगों में जहां सिर्फ तफरीह और सुन्दर दृश्यों को देखने की प्रवृत्ति होती है वही यहां आने वाले के मूल में धार्मिकता के दर्शन होते है। प्रकृति की अनमोल धरोहरों से आनंदित होता व्यक्ति जब सुबह उठते ही साथ बम-बम भोले और जयश्रीराम के उदघोष घंटा घटियालों के साथ सुनता है तो वह रोमाचित होकर धर्म की इस नगरी में आकर अपने आपको पुष्य का सबसे बड़ा भागी मानता है।