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नोएडा: शिशुओं की देखभाल पर ज्ञान, अभ्यास और धारणाओं को लेकर एक मिश्रित पद्धति पर शोध किया गया

नोएडा। जिला अस्पताल में जन्म के समय कम वजन (लो बर्थ वेट) वाले नवजात शिशुओं की देखभाल पर ज्ञान, अभ्यास और धारणाओं को लेकर एक मिश्रित पद्धति पर शोध किया गया। यह शोध इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ की प्रोफेसर डॉ ज्योति शर्मा के मार्गदर्शन में पीएचडी छात्रा डॉ प्रियंका विरल बजवाला ने किया। 15 जनवरी 2025 से 15 जून तक चले शोध में पाया गया कि करीब 50 प्रतिशत महिलाओं को यह नहीं पता था कि वे बच्चों की देखभाल किस प्रकार करें।

शोध के अनुसार, लगभग आधी माताओं को कम जन्म वजन वाले शिशुओं, थर्मल केयर और कंगारू मदर केयर के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। डॉक्टरों का कहना है कि यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि समय से पहले जन्मे या कम वजन वाले शिशुओं की देखभाल में लापरवाही गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बढ़ा सकती है। कम वजन वाले शिशु संक्रमण, सांस लेने में कठिनाई और ठंड लगने जैसी समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। ऐसे में थर्मल केयर यानी शिशु को उचित तापमान पर रखना और कंगारू मदर केयर जैसी पद्धति बेहद कारगर साबित होती है।
कंगारू मदर केयर में मां शिशु को अपनी छाती से लगाकर त्वचा से त्वचा का संपर्क बनाए रखती हैं। इससे न केवल शिशु को गर्माहट मिलती है, बल्कि उसके विकास और स्तनपान को भी बढ़ावा मिलता है। डॉ अजय राणा ने कहा कि यह पहल नवजात मृत्यु दर में कमी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और जिला अस्पताल की साक्ष्य आधारित स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस दौरान विशेषज्ञों ने माताओं को जागरूक भी किया। सीएमएस डॉ अजय राणा, वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ रेणु अग्रवाल, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रिया जादौन, नोडल अधिकारी डॉ ऋषभ कुमार सिंह का सहयोग रहा।

By Ankshree

Ankit Srivastav (Editor in Chief )

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